NIT की खबर का असर: अकोला शहर के करीब 50 साहूकारों के खिलाफ अपराध दर्ज | New India Times

ओवैस सिद्दीकी, अकोला (महाराष्ट्र), NIT; 

​​NIT की खबर का असर: अकोला शहर के करीब 50 साहूकारों के खिलाफ अपराध दर्ज | New India Times​अकोला शहर में सूदखोरों के आतंक से नागरिक परेशान नजर आने लगे हैं, शहर के कुछ दबंगों द्वारा अवैध रूप से पैसा देकर भारी ब्याज वसूले जाने की जानकारी मिल रहीहै। इसी के मुद्देनजर विगत दिनों NIT द्वारा विशेष रूप से खबर प्रकाशित की गई थी। खबर का संज्ञान लेते हुए शनिवार 23 जून को सहकार उपनिबंधक प्रशासन ने करवाई करते हुए शहर के विभिन्न पुलीस थानों में करीब 50 साहूकारों के खिलाफ अपराध दर्ज कराया है। जिनमें ज्ञानेश्वर अँड सन्स, पसारी ज्वेलर्स, परेश कुमार सुभाष चंद शरी, अनिश कुमार नवलचन्द शहा, बालकीसन बससीलाल अग्रवाल, दिलीप संवनजी भगत, अशोका मोतीराम वानखे, भीकमचंद सदाराम खंडेलवाल, कैलाश चंदू हीरालाल तातिया, गणेश एकनाथ परवी, किशोर चितायम दडगव्हाडा, नंद कुमार भोंदाराव मुंडगाकर, अशोक कुमार वनमालदीस सोनी, निशांत नगनिदास सोनी, नारायणदास देवजी, लोडिया, ग्रशि शांतिलाल त्योडीया, नरेशकुमार रमनलाल शहा, पुराना शहर पुलीस थाने की हद में आने वाले साईबाबा व्यायम शाला परीसर के विजय डिगम्बरराव भिरड, ललीत कुमार सुभाषराव वानखडे, पूरनमल वानकरमल वर्मा आदि का समावेश है, इन पर साहुकार अधिनियम के अनुसार अपने कार्यक्षेत्र से बाहर कर्ज पर पैसे देने के अपराध में साहूकार अधिनियम 2014, 4, 41 का उल्लंघन करने के संदर्भ में अपराध दर्ज किया गया है।NIT की खबर का असर: अकोला शहर के करीब 50 साहूकारों के खिलाफ अपराध दर्ज | New India Timesबता दें कि महाराष्ट्र सहुकार अधिनियम के अनुसार बिना पंजीयन किए एवं परवाना में नमूद कार्यक्षेत्र से बाहर कोई भी व्यक्ति ब्याज पर पैसा नहीं दे सकता। किंतु संबंधित सहकार संस्था निबंधक के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से अकोला शहर में गरीबों का शोषण करने वाले सहुकार अब भी फूल-फल रहे हैं एवं निबंधक प्रशासन की नजर से बचकर अब भी अवैध रूप से साहूकारी का गोरखधंधा चला रहे हैं। उनपर प्रशासन की मेहरबानी होने की चर्चाएं शहर वासियों में आम है। यह साहूकार जिले के अन्य तहसीलों में भी सक्षम रूप से अपने पैर जमाए हुए हैं। सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार उनके एजंट भी हैं जो इन्हें ग्राहक ला कर देते हैं तथा अपना कमिंशन भी लेते हैं। अब देखना यह है शहर के और किन किन साहूकार प्रशासन की गिरफ्त में आते हैं।

कैसे चलता है यह गोरख धंधा?

अगर किसी को तत्काल रूप से पैसों की जरूरत है तो यह बेचारा साहूकार के पास पहुंचता है तथा उचीत राशि की मांग पर उसे कोरे बॉंड पर लिख कर लिया जाता है तथा साहूकारी के नियम से बचने के लिए बांड पर उल्लेख किया जाता है कि इसे फला राशि उधार दी जा रही है साथ ही बांड पर मूल राशि से अधिक राशि लिखी जाती है ताकि मूल राशि के भुगतान के साथ-साथ ब्याज भी मिल जाए। यहां से शुरू होती है उसके शोषण की गाथा, प्रतिमाह उससे मूल राशि के 10 से 25% के हिसाब से ब्याज लिया जाता है और मूल राशि अपनी जगह पर ही रहती है। इस गोरखधंधे की जाल में शहर के कुछ शासकीय नौकरियां करने वाले भी फंसे हैं तथा नौबत तो यहां तक पहुंची है कि उनका ATM तक सूदखोरों के कब्जे में जमा रहता है एवं तंखवाह आते ही वो निकाल जाता है और पीड़ित तिल मिला कर रह जाता है लेकिन कुछ कर नहीं पाता है। इस अवैध ब्याज वसूली की शिकायत करने पर संबंधित अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार कर उचित कार्यवाही नहीं किए जाने का आरोप भी नागरिक लगाते रहते हैं एवं मजबूरन आत्महत्या की और कदम उठाते हैं। सूत्रों की मानें तो सहकार संस्था निबंधक कार्यालय में इन सूदखोरों द्वारा मोटी रकम पहुंचाई जाती है जिसकी वजह से कार्रवाई में सुस्ती की जाती है तथा जारी इस गोरखधंधे की ओर विभाग की आंखें बंद रहती है। इन अवैध साहूकारों पर कितनी कार्रवाई की जाती है तथा परेशान हाल गरीब को कितनी राहत मिलती है यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा।


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