अपनी बेबसी और सरकारी तंत्र की बेरुखी तथा  गेहूं  सेंटर के ठेकेदारों की हठधर्मी के चलते किसान अपनी दुर्दशा पर बहा रहे हैं आंसू | New India Times

वी.के.त्रिवेदी, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT; ​अपनी बेबसी और सरकारी तंत्र की बेरुखी तथा  गेहूं  सेंटर के ठेकेदारों की हठधर्मी के चलते किसान अपनी दुर्दशा पर बहा रहे हैं आंसू | New India Timesउत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी की तहसील मोहम्मदी की मंडी समिति में तीन गेहूं के सेंटर शासन के दिशा निर्देश के बाद किसानों के गेहूं की उपज का सही मूल्य दिलवाने के उद्देश्य से लगवाए गए थे लेकिन मंडी समिति में लगे तीनों सेंटर का हाल चिंता का विषय बना हुआ है। एक हफ्ते से बोरों का न होने का रोना लगातार इन सेंटरों के इंचार्ज रो रहे हैं और किसान जिनका अनाज खुले आसमान के नीचे पड़ा है जो प्रतिदिन किस्तों में जी और  मर रहे हैं, उनको सुनने वाला कोई भी नहीं है। मनमाने ढंग से जिसका जी चाहता है उसका गेहूं खरीदा जाता है जिसका मन नहीं होता है उसको बारदाना न होने का रोना रोकर अपना पल्ला झाड़ लेते है  या मेरा लक्ष्य पूरा हो गया है, अब तौल नहीं होगी का स्पष्ट जवाब देकर टरका  दिया जाता है।​अपनी बेबसी और सरकारी तंत्र की बेरुखी तथा  गेहूं  सेंटर के ठेकेदारों की हठधर्मी के चलते किसान अपनी दुर्दशा पर बहा रहे हैं आंसू | New India Times इस समय मंडी में आर.एफ.सी. का जो सेंटर लगा है उसके इंचार्ज पी एन  सक्सेना ने बताया कि मेरे सेंटर पर 22200 कुंतल गेहूं तौल चुका है आगे की तौल के लिए अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है जब आदेश मिलेगा तब तौल की जाएगी, दूसरा और तीसरा सेंटर पीसीएफ का लगा हुआ है जहां पर कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति नहीं मिला और लगभग पूरी मंडी किसानों के गेहूं से भरी मिली लेकिन बारदाना न होने का रोना रो कर तौल नहीं हो पा रही है।

 कुल मिलाकर चाहे वह राजनीतिक दल के नेताओं या इन सेंटरों के मालिक जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ होती दिख रही है उसकी मार किसान झेल रहा है इस मंडी में अब किसानों ने गेहूं लाना बंद कर दिया है।मडी में 2 किसान मौजूद मिले जब एक संवाददाता ने सोबरन सिंह और निर्मल सिंह ग्राम गोकन से पूछा तो उन्होंने कहा मेरा गेहूं अभी तक नहीं तुला है और बारदाना न होने  की बात की जा रही है कुल मिलाकर कृषि प्रधान देश में किसान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है और निरंकुश  ठेकेदार  मनमानी कर अपनी जेब भर रहे हैं तथा शासन की तरफ से निर्धारित मूल्य भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है जो जनता में आम चर्चा का विषय बना हुआ है देखना है कि इस जान लेवा समस्या से किसानों को निजात मिलती है या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading