फराज अंसारी, बहराइच (यूपी), NIT;
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में सरकारी तंत्र के अजीबो गरीब मामले सामने रहे हैं। अब तक तो हम और आप यही सुनते आते थे कि सरकारी आदेश के बाद किसी भी चीज़ का निर्माण या फिर किसी भी चीज़ की शुरआत की जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश का यह जिला शायद पहला ऐसा जिला होगा जहां दुकान पहले रखा दी गयी और आदेश अब तलाशा जा रहा है। चुनावी जनसभाओं में राजनेताओं के भाषणों में हमने और आपने उत्तर प्रदेश को उल्टा प्रदेश कहते सुना है लेकिन सरकारी तंत्र की इस कार्यशैली ने एक बार फिर इस जुमले को चरितार्थ की कोशिश की है। मामला दरअसल बहराइच अस्पताल परिसर में रखी गयी एक टीन की गुमटी का है, जिसके बारे में न तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी कुछ बता पा रहे हैं और न ही मुख्य चिकित्सा अधीक्षक। बस सब एक दूसरे के माथे पर टीकरा फोड़ते नज़र आ रहे हैं। आज जिला अस्पताल के कबाड़ की 22 मार्च की नीलामी में धांधली के गम्भीर आरोपों के कारण निरस्त की गयी है और आज ही अस्पताल परिसर में एकाएक रखी गयी इस गुमटी ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।
कबाड़ से निकले तो गुमटी में अटके
जी हां कुछ यही हाल है इन दिनों जिला अस्पताल प्रशासन की जिसकी कार्यप्रणाली इन दिनों अखबारों और टीवी स्क्रीनों पर सुर्खियां बंटोर रही है। आज ही धांधली के आरोपों के चलते जिला चिकित्सालय में कबाड़ की नीलामी निरस्त की गयी है और आज ही जिला अस्पताल बहराइच के मुख्य द्वार पर अस्पताल प्रांगण में ही एक गुमटी का रखा जाना लोगों में चर्चा का विषय बन गया है। आज ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी अस्पताल के कबाड़ की नीलामी निरस्त की गयी है और आज ही एकाएक अस्पताल परिसर में रखी गयी गुमटी से एक नए विवाद का जन्म हो गया है। इस सम्बंध में जब इस संवाददाता ने सीएमओ व सीएमएस से बात की तो दोनों ने पहले तो प्रकरण से अनभिज्ञता जाहिर की बाद में प्रकरण का टीकरा एक दूसरे पर फोड़ते दिखे। अंत में सीएमएस साहब ने जाकर गुमटी रखे जाने की बात मानते हुए कहा कि गुमटी मेरे आने से पहले के शासन के आदेश पर रखी है, आदेश के पेपर्स तलाश किये जा रहे हैं, पेपर मिलने पर सही स्थिति बताई जा सकेगी। अब समझ में यह नहीं आ रहा है कि अगर आदेश सीएमएस साहब के आने से पहले का था तो आज आदेश की कॉपी के मिलने से पहले अचानक इस गुमटी को क्यों रखवा दिया गया है। जानकारों की मानें तो यह भी एक बड़े घोटाले की ओर इशारा है क्योंकि आज 2017-2018 बजट सत्र का अंतिम दिन है कल से 2018-19 का बजट सत्र प्रारम्भ हो रहा है ऐसे में बजट सत्र के अंतिम दिन इस तरह से एकाएक गुमटी रखा जाना एक बड़े घोटाले की सम्भावनाओं को ओर इशारा कर रहा है।
क्या कहते है सीएमओ साहब
इस सम्बन्ध में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की गयी तो उन्होंने पहले तो प्रकरण से अनभिज्ञता जाहिर की उसके बाद उन्होंने इसके लिये सीएमएस से बात करने की सलाह दी। जब हमने इसके लिये उनकी लाइबिल्टी के बारे में पूछा तो उन्होंने सीएमएस से बात कर गुमटी हटवाने की बात कही।
सीएमएस बोले गुमटी रखने के आदेश के पेपर को कर रहा हूँ तलाश
जिला अस्पताल परिसर में मुख्य गेट पर रखी गयी एकाएक गुमटी के बारे में जब हमने सीएमएस साहब से बात की तो उन्होंने कहा कि उनकी यहां तैनाती से पहले शासन का आदेश आया था कि प्रयाग बूथ खुलवाया जाये जिसके लिये गुमटी रखी गयी है। जब हमने आदेश के बारे में जानकारी मांगी तो उन्होंने कहा कि आदेश के कागज़ वह तलाश करवा रहे हैं मिलने पर ही कुछ कहा जा सकता है। सीएमएस साहब की उन बात गले नहीं उतर रही है की जब आदेश उनके कार्यकाल से पहले का था तो इस पर इतने दिनों बाद आज ही अमल क्यों किया जा रहा है और सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब आदेश की कॉपी अभी उनके पास उपलब्ध है ही नही तो उन्हें कैसे पता कि यहां पराग बूथ खुलवाया जाना है। इन सब बातों से एक बात तो साफ झलक रही है कि दाल में कुछ काला तो है।
एक ही परिसर में पराग के दो बूथ खुलवाना चाहते हैं सीएमएस साहब
जिला चिकित्सालय परिसर में जिस पराग बूथ खुलवाए जाने की सीएमएस साहब बात कर रहे हैं वह बूथ पहले से ही जिला अस्पताल के टीबी क्लिनिक में खुला हुआ है। ऐसे में एक ही परिसर के लगभग 100 से 150 मीटर की दूरी पर ही दूसरा पराग बूथ खुलवाया जाना समझ से परे है।
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