डाक विभाग ने महाराष्ट्र के 356 कर्मियों को नौकरी से निकाला,"क्या यही है अच्छे दिन?" पीड़ितों का प्रधानमंत्री से सवाल  | New India Times

कासिम खलील, बुलढाणा(महाराष्ट्र), NIT;​डाक विभाग ने महाराष्ट्र के 356 कर्मियों को नौकरी से निकाला,"क्या यही है अच्छे दिन?" पीड़ितों का प्रधानमंत्री से सवाल  | New India Times“बेरोजगारों को रोज़गार मिलेगा, देश में खुशहाली आएगी, सभी के लिए अच्छे दिन आएंगे” यही कहते हुए केंद्र में भाजपा ने सत्ता तो हासिल कर ली किन्तु क्या हकीकत में बेरोजगारों को रोज़गार मिल रहा है?? नही बिल्कुल नहीं,  बल्कि जो युवक किसी तरह भारतीय डाक विभाग में पिछले साल नौकरी पर लगे थे उन्हें भी बिना कोई कारण बताये ही नौकरी से “टर्मिनेट” कर दिया गया है। ऐसा गम्भीर आरोप आज बुलढाणा के पत्रकार भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में पीड़ित युवकों ने लगाते हुए केंद्र सरकार से न्याय की गुहार लगाईं है।​डाक विभाग ने महाराष्ट्र के 356 कर्मियों को नौकरी से निकाला,"क्या यही है अच्छे दिन?" पीड़ितों का प्रधानमंत्री से सवाल  | New India Timesनौकरी से निकाले गए अमरावती निवासी पीड़ित युवक कुशल गावंडे ने बताया कि भारतीय डाक विभाग के महाराष्ट्र क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा पोस्टमैन, एमटीएस व मेल गार्ड की 2434 जगहों के लिए सरल सेवा भर्ती का विज्ञापन जारी करते हुए परीक्षा लेने के बाद 356 युवकों को 9 जून 2016 को नौकरी के लिए नियुक्त करते हुए उन्हें काम पर लिया गया था और बाकी बचे 2078 पात्र युवकों को तांत्रिक कारण बताते हुए नौकरी पर नहीँ लिया गया। जिन 356 युवक नौकरी पर लग गए थे उन्हें अचानक 25 नवम्बर 2016 को बिना कोई ठोस कारण बताए नौकरी से “टर्मिनेट” किये जाने का पत्र उनके हात में थमा दिया गया। विशेष बात यह की जिन 356 युवकों को नौकरी पर कम करना था उन्हें राज्य भर से औरंगाबाद में बुलाया गया और एक बड़े हॉल में उन्हें दिन भर बंद रख कर रात में उनके हात में एक बंद लिफाफा देते हुए डाक अधिकारियों ने उन्हें नसीहत कर कहा कि यह लिफाफा अपने घर जा कर खोला जाए। किन्तु कुछ युवकों ने हॉल से बाहर निकल के लिफाफा खोला और उसमें मौजूद पत्र को पढ़ा तो उनके पैरों तले से ज़मीन ही खिसकईगई क्यूंकि पत्र टर्मिनेट का था। जब पीड़ित युवकों ने नौकरी से निकाले जाने का कारण पूछा तो अधिकारियों ने बचने का प्रयास करते हुए खुले शब्दों में कहा कि कारण “मोदी जी से पूछ लो”। इस तरह इन युवकों को वापस लौटा दिया गया। इस विषय में अन्यायग्रस्त व पीड़ित युवकों ने राज्य सरकार सहित देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से भी पत्र व्यवहार व ईमेल भेज कर अपने ऊपर हुए अन्याय का दुखड़ा सुनाया किन्तु पीएमओ ऑफिस से भी उन्हें न्याय नहीं मिला। कोर्ट में दस्तक देने पर भी कोई हल नही निकल पाया है।​डाक विभाग ने महाराष्ट्र के 356 कर्मियों को नौकरी से निकाला,"क्या यही है अच्छे दिन?" पीड़ितों का प्रधानमंत्री से सवाल  | New India Timesएक अन्य पीडित महेश चांदणे ने कहा कि आज राज्य के सभी 356 पीड़ित डाक कर्मचारी काफी परेशानी में आ गए हैं। उनका बना बनाया संसार रास्ते पर आ गया है। डाक विभाग हर साल नौकरी निकालता है और रोज़गार मिलने की आशा में देश भर से लाखों बेरोज़गार युवक उन्हें 500 रुपए का डीडी भेजते हैं,  जिससे उन्हें करोडों रुपए मिल जाते हैं। फिर यह भर्ती रद्द कर दी जाती है। इस प्रकार डाक विभाग बेरोज़गारों को दिन-दहाड़े लूट रहा है। ऐसा गंभीर आरोप भी इस पत्रकार परिषद में लगाया गया है। इन सभी 356 युवकों को दुबारा नौकरी पर लिए जाने की मांग अंत में की गई है ताकि केंद्र सरकार का “अच्छे दिन” का वादा सच हो वरना यही समझा जाएगा की झूट बोलते हुए जनता को उल्लू बनाकर भाजपा ने सत्ता हासिल की है और अब बेरोज़गारों को अधर में छोड़ दिया है। इस पत्रकार परिषद में राज्यभर से आये पीड़ित डाक कर्मचारी मौजूद थे।


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