अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT;
10 फरवरी 2018 को सीकर के सालसर रोड़ स्थित ऐक्सीलैंस नॉलेज सिटी के शानदार परीसर में ऐक्सीलैंस गलर्स स्कूल व कॉलेज का आयोजीत भव्य व शिक्षाप्रद सालाना जलसे में अनेक अतिथि मंच पर तशरीफ फरमा थे, लेकिन उन मंचासीन अतिथियों में त्याग-तपस्या की मूर्ती बनकर अवाम को बदलने में जीवन खपाने वाली रुखसाना खान, परवीन खान व अंजला ठकराल नामक तीन महिलाएं भी मंचासीन नजर आईं थीं। जिन तीनों को देख व मिलकर जलसे में मौजूद सीकर की सैंकड़ों बेटियां व महिलाएं इतनी खूश नजर आ रही थीं कि मानों हर बेटी उन तीनों को आदर्श मानकर व उनके जीवन गुजारने के रास्ते पर चलकर अब हर हाल में महिलाओ की जहालत भरी मुश्किलात भरी दुनीया को पूरी तरह बदल कर अवाम को उस तरक्की के पथ पर दौड़ाने का संकल्प सा ले रही हैं।
रुखसाना खान को केवल वाहिद चौहान की शरीके हयात मानकर देखने के बजाय उन खूद के बेमिसाल योगदान को याद करते हुये उनकी लगातार अनेक तरह की दी जाने वाली कुर्बानियों से जोड़ कर देखा जाना आवश्यक है। उनकी परवरिश भारत के नामी व सभी तरह की सुविधा पूर्ण होने वाले मर्चेंट परीवार में होने के बावजूद उन्होंने अपने खाविंद वाहिद चौहान के सीकर की हर बेटी को आलातरीन तालीम के जेवर से मालामाल करने के सपने को साकार करने के लिये पिछले 32 साल से अपना पूरा सरमाया खर्च करके जो अहम किरदार अदा करते आने जैसा विश्व की केवल दो चार महिलाएं ही शायद पूरा कर पाई होंगी। रुखसाना खान जैसी महिला अगर चिराग लेकर भी विश्व में घूम घूम कर तलाश दर तलाश की जायें तो शायद उनका दूसरा रुप मिलना काफी टेडी खीर मानी जाती है।
इसी जलसे के मंच पर दूसरी महिला के रुप में मंचासीन परवीन खान को सीनीयर पुलिस अधीकारी रहे कुवंर सरवर खान की केवल शरीके हयात मानकर ही नहीं छोड़ सकते हैं। यह वो परवीन खान नामक महिला है जो आज के आठ साल पहले गम्भीर बीमारी के ग्रस्त होने पर डाक्टरस की सलाह से उनके शरीर के अनेक पार्ट निकालने के बावजूद उन्होंने ने भी पाक परवरदीगार की रजा पर पूरा विश्वास करते हुये अपने खाविंद सरवर खान के सुनहरे सपने को साकार करने के लिये अपने आबाई गांव चोलूखां में जमीन खरीदकर उस जमीन पर विशाल व भव्य “मकतब ऐ अमन” नामक तालीमी सेंटर का आधुनीक सुविधाओं वाला अलीशान भवन बनाकर उसमें सभी उम्र के बच्चे-बूढों के लिये दिन के 16 से 18 घंटे दीनी तालीम देने का पूख्ता इंतेजाम जो सालों पहले किया था वह आज भी साल दर साल लगातार परवान चढ रहा है। जिसके सभी तरह के अखराजात परवीन खान अपने खाविंद के साथ मिलकर पूरा बरदाश्त करने के साथ साथ समय समय पर अपनी बीमारी को भूलकर एक तंदरुस्त महिला की तरह चोलूखां गांव जाकर मकतब ऐ अमन नामक तालिमीगाह को सम्भालती आ रही हैं। जिसकी मिसाल दूसरी महिला के रुप मे आज के हालात मे मिलना काफी मुश्किल नजर आता है।
समाजी खिदमात में हरदम पेश पेश रहने वाली मंचासीन अंजली ठकराल की जलसे में मौजूदगी से सीकर की बेटियों को बल मिला है। उनसे मिलकर हर बेटी खूश नजर आ रही थी। सभी बेटियों के मूहं से रुक रुक कर एक अवाज निकल रही थी कि उक्त तीनों मंचासीन बहनों को अल्लाह पाक लम्बी उम्र व तंदरुस्ती अता करता रहे ताकि बेटियों को उनका मार्गदर्शन समय समय पर मिलता रहे।
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