नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

तापी मेगा रिचार्ज प्रोजेक्ट के समझौते को करारबद्ध करने के लिए मध्य प्रदेश पधारे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन किए। अतीत में धर्मसत्ता राजसत्ता को लेकर दिए गए धांसू बयान और गेरूआ धारण करने का आचरण फ़डणवीस को मोदी जी से एक कदम आगे ले जाता है। 1995 से लंबित तापी मेगा प्रोजेक्ट पर दोनों राज्यों की आम सहमति बन चुकी है। 21 हजार करोड़ की इस योजना के लिए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार को साझा योगदान देना है। महाराष्ट्र पर 09 लाख 34 हजार करोड़ रुपए और मध्य प्रदेश सरकार पर करीब 07 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ है। मेगा प्रोजेक्ट के लिए लगने वाला पैसा विश्वबैंक से ऋण स्वरूप उठाया जाना है। योजना के लिए केंद्र सरकार कितना पैसा देगी यह स्पष्ट नहीं है। दोनों राज्यों ने आपस में केवल सामान्य सहमति प्रस्ताव पारित किए हैं।

इन प्रस्तावों को केंद्र सरकार की मंजूरी मिलना अभी बाकी है। उसके बाद टेंडर निकलेंगे फिर प्रत्यक्ष काम शुरू होगा। New India Times ने इस प्रोजेक्ट के शुरू नहीं होने के लिए दोनों राज्यों की आर्थिक तनातनी और बीजेपी के चुनावी लाभ के इतिहास पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जनता जानना चाहती है कि आखिर मेगा रिचार्ज प्रोजेक्ट कब तक पूरा होगा ? प्रोजेक्ट के लिए कितना पैसा लगेगा ? ऋण पर उठाए जाने वाले पैसे पर जनता को कितना ब्याज देना होगा ? गारंटी के तौर पर दोनों राज्यों की सरकार क्या गिरवी रखने जा रही है? महाराष्ट्र में इरिगेशन के तमाम छोटे छोटे प्रोजेक्ट को लेकर बीते दस सालों में काम ज़ीरो और प्रोपेगंडा प्रचुर किया गया है। दोनों राज्यों की जनता मांग कर रही है कि मेगा रिचार्ज का सारा का सारा ऑडिट सार्वजनिक किया जाए। केंद्र की मंजूरी हासिल कर तत्काल प्रभाव से योजना का काम आरंभ किया जाए।
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