काला मोतिया की पहचान में देरी, छीन सकती है आंखों की रोशनी | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

काला मोतिया की पहचान में देरी, छीन सकती है आंखों की रोशनी | New India Times

काला मोतिया से होने वाली अंधता को रोकने के लिए विश्व ग्लूकोमा सप्ताह जिला चिकित्सालय मोतीपुर ओयल में मनाया गया, जिसमें 40 वर्ष ऊपर की उम्र के मरीजों में ग्लूकोमा की जांच नेत्र सर्जन डॉ पूनम वर्मा व डॉ अक्षत मिश्रा द्वारा की गई। सीएमएस डॉ आरके कोहली ने बताया कि विश्व ग्लूकोमा सप्ताह को मनाने का उद्देश्य लोगों में काला मोतिया को लेकर जागरूकता फैलाना है। विश्व ग्लूकोमा सप्ताह के पहले दिन जिला चिकित्सालय में आंखों की समस्या से ग्रस्त आए हुए मरीजों की जांच की गई, उन्हें उपचार हेतु दवाएं दी गईं। वहीं ऐसे मरीज जिनकी सर्जरी की जानी है उन्हें सर्जरी करवाने की सलाह दी गई। नेत्र सर्जन डॉ पूनम वर्मा ने बताया कि काला मोतिया विश्व में आंखों की रोशनी जाने का दूसरा बड़ा कारण है।

40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को हर 3 वर्ष बाद आंखों की जांच करानी चाहिए। ऐसे व्यक्ति जिनके परिवार में पहले से किसी को यह बीमारी हो, दूर दृष्टि या निकट दृष्टि दोष वाले मरीज, आंखों में अधिक प्रेशर होना, आंखों में पुरानी लगी चोट, माइग्रेन, उच्च या कम ब्लड प्रेशर, शुगर व मायोपिया की बीमारी के कारण भी काला मोतिया होने की संभावनाएं होती हैं। सही समय पर जांच से हर तरह के ग्लूकोमा का इलाज संभव है। इस दौरान बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आरपी वर्मा, डेंटल सर्जन डॉ इंद्रेश राजावत, ऑप्टोमेट्रिस्ट प्रीति श्रीवास्तव व अन्य कर्मचारी मौजूद है।


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By nit

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