अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल में एक और गंभीर प्रशासनिक अनियमितता का मामला उजागर हुआ है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने डिप्टी रजिस्ट्रार चंद्रप्रकाश शुक्ला पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति में छात्रों के रजिस्ट्रेशन दस्तावेज़ों पर अनधिकृत हस्ताक्षर किए जिससे न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी गहरा असर पड़ सकता है।
डॉ शुक्ला स्वयं को वर्तमान चिकित्सा शिक्षा एवं लोक स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के रिश्तेदार बताते हैं वहीं विभाग के उच्च अधिकारियों के संरक्षण में नर्सिंग काउंसिल में नियम विरुद्ध कार्य कर रहें हैं। परमार ने बताया कि वर्तमान रजिस्ट्रार अनिता चांद के पद पर होने के बावजूद भी डिप्टी रजिस्ट्रार चंद्रप्रकाश शुक्ला ने कथित तौर पर 3 सितंबर 2024 को कई छात्रों के रजिस्ट्रेशन पर रजिस्ट्रार की जगह अपने हस्ताक्षर कर दिए।
एनएसयूआई ने इस मामले में चिकित्सा शिक्षा एवं लोक स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संदीप यादव को पत्र लिखकर डिप्टी रजिस्ट्रार के निलंबन और निष्पक्ष जांच समिति गठन की मांग की है।
एनएसयूआई की प्रमुख मांगें:-
1. तत्काल निलंबन: डिप्टी रजिस्ट्रार श्री चंद्रप्रकाश शुक्ला को उनके पद से तुरंत निलंबित किया जाए।
2. जांच समिति का गठन: इस प्रकरण की गहन और निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए।
3. दोषियों पर कड़ी कार्रवाई: जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
4. छात्रों के हितों की सुरक्षा: रजिस्ट्रेशन से जुड़े छात्रों की शैक्षिक वैधता सुनिश्चित की जाए।
5. भविष्य में पारदर्शिता: नर्सिंग काउंसिल की प्रक्रियाओं में सुधार करते हुए अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त प्रावधान लागू किए जाए।
एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा, “मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल में अनियमितताओं की श्रृंखला थमने का नाम नहीं ले रही है। यह मामला न केवल काउंसिल की साख पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि छात्रों के भविष्य को भी संकट में डालता है। शासन को तुरंत कार्रवाई करनी होगी। यदि हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो एनएसयूआई छात्रों और अभिभावकों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेगी।”
परमार ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है। संगठन ने काउंसिल में पारदर्शिता और छात्रों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
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