अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT; मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस त्रासदी से प्रभावित परिवारों में जन्मे जन्मजात दिव्यांग बच्चों के पुनर्वास का काम चिंगारी ट्रस्ट लगभग दस वर्षों से कर रहा है। ट्रस्ट के डॉ. ऋषि शुक्ला ने आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि चिंगारी ट्रस्ट के प्रयास से पिछले 9 वर्षों से फिजियो थैरपी के माध्यम से भोपाल गैस पीड़ित विकलांग बच्चों में बेहतर परिवर्तन देखे गए हैं। इनमें से एक तिहाई बच्चे, तो कभी बैठ नहीं पाते थे, आज वह बैठने लगे हैं। लगभग 68 बच्चे ऐसे हैं जो चल नहीं पाते थे, वह आज चलने फिरने लगे हैं।
ट्रस्ट के ही डॉ. जेबा का कहना है कि सेंसरी इंटीग्रेशन द्वारा औसतन 44 ओटिजिम, हायपरएक्टिव व्यवहारिक समस्या, सेंसरी डिसोडर, डेवलपमेंटेल डीले से ग्रस्त बच्चों का उपचार किया जा रहा है। ट्रस्ट में 9 वर्ष के इलाज के दौरान इन बच्चों में भी काफी परिवर्तन देखे गए हैं।
चिंगारी ट्रस्ट की प्रबंधक न्यासी रशीदा बी ने कहा कि वर्तमान समय में ट्रस्ट के पास ऐसे 900 बच्चे पंजीकृत हैं, जो भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित हैं। चिंगारी ट्रस्ट का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा प्रभावित बच्चों का इलाज कर उनका पुनर्वास किया जा सके।
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