अबरार अहमद खान/उमर अली, भोपाल, NIT; मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 1947 से पहले नवाबों के दौर में 14 लोगो के साथ शुरू होने वाला आलमी इज्तिमा आज दुनिया भर में जाना जाता है। भोपाल इज्तिमे की शरुआत नवाबी दौर में एक मस्जिद में मौलाना साहब ने की जिसमें उनके साथ मात्र 14 लोग जुड़े थे। उसके बाद इज्तिमा एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ताजुल मस्जिद में होने लगा। साल-दर-साल लोगों की संख्या बढ़ने लगी और इसमें शिरकत करने वालों में कई देशों के लोग भी जुड़ने लगे। इसमें शिरकत करने वालों की संख्या इतनी बढ़ी कि ताजुल मस्जिद और उसके आसपास की जमीन भी कम पड़ने लगी। दस साल पहले इसे भोपाल से 15 किमी दूर ईंटखेड़ी स्थित घासीपुरा में शिफ्ट कर दिया गया।
इज्तिमें में विदेश से रूस, फ्रांस, कजाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया, जाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका, कीनिया, थाईलैंड, इराक, सऊदी अरब, इथियोपिया, यमन, सोमालिया, तुर्की और श्रीलंका और कई अन्य देशों से हजारों जमाती तीन दिन के लिये शिरकत करने आते हैं।मौलाना साद कांधलवि साहब ने क़ुरान और सुन्नत की रौशनी में लोगों को आगाह किया कि यह दुनिया खत्म होने वाली, हर जानदार को मोत का मज़ा चखना है।इंसानों को मौत के बाद रोज़े महशर में दुनिया में किये अच्छे बुरे काम के लिए अल्लाह के यहां जवाबदेह होना होगा। जिस ने दुनिया में कुरआन और हदीस के मताबिक ज़िन्दगी बसर की होगी उसे जन्नत के रूप में नाख्तम होने वाली जज़ा से नवाज़ा जाएगा और जिसने अल्लाह और रसूल के एहकामत और हिदायत के खिलाफ अमल किये होंगे उन्हें दर्दनाक अज़ाब दिया जायेगा। इजतिमा का मक़सद यही है कि हम और तमाम इंसान अल्लाह और रसूल के बताये हुये तरिके पर अपनी ज़िन्दगी गुजारें। उन्होंने फ़रमाया कि दीन ऐ हक़ यानी इस्लामी तालीमात के खिलाफ ज़िन्दगी बसर करने के ही नतीजे में आज दुनिया के इंसान तरह तरह की बुराइयों में जकड़ गए हैं जिसके नतीजे में कई तरह की परेशानियों और तबाही और बर्बादी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा ऐ लोगो मरने से पहले अल्लाह की रज़ा हासिल करलो वरना मौत के बाद कोई मौक़ा नहीं मिलेगा।इज्तिमे में इन्तेज़ामिया कमेटी के लोग हर तरह और हर तरफ नज़र रखे हुए थे। आसान आवागमन बनाये रखने के लिये रेलवे स्टेशन और बस अड्डों से इज्तिमा गाह तक सैकड़ों रजाकार खास तौर नौजवान पुलिस प्रशासन के ‘ साथ बेमिसाल खिदमत अंजाम दे रहे थे। सुरक्षा व्यवस्था के अंतर्गत बड़ी संख्या में पुलिस जवान भी तैनात थे। ज़िला प्रशासन के साथ ही पुलिस के उच्चाधिकारी भी हालात पर पैनी निगाह रखे हुये थे।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.