अब्दुल वहीद काकर, धुले (महाराष्ट्र), NIT; शांति, अमन, एकता और सतत विकास के लिए इस्लामी एकता और अंतर्धार्मिक एकजुटता समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन जमियत उलमा के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया, जिसमें हिन्दू मुसलमान समेत सभी धर्मों में समभाव पैदा करने के लिए आयोजित किया गया।धुलिया में संपन्न हुए जमीतय उलमा ए हिन्द के अमन एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मौलाना महमूद मदनी ने सभी धर्मगुरुओं के अलावा अन्य सभी धर्म के नागरिकों से अपील की कि देश में सब से अधिक अगर किसी बात की आवश्यकता है तो वह अमन शान्ति, प्रेम और भाई चारे को बढावा देने की है जिस से देश की एकता अखंडता क़याम रहेगी।मौलाना मदनी ने कहा है कि मनभेद नही होना चाहिए बल्कि मतभेद होना चाहिए, एक मजबूत कामयाब और एकजुट भारत का सपना सभी संप्रदायों, जातियों, पंथों और धर्म की एकजुटता से ही हकीकत में देश में एकता बन सकती हैं। आपस में प्रेम की आवश्यकता है न कि क्रोध की।
जमियत उलमा ए हिंद तथा इंडियन फाउन्डेशन के तत्वावधान में धुलिया में ऐतिहासिक अमन व एकता सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में राष्ट्रीय संत इंद्र महाराज ,बाबा धीरज सिंह , फादर विल्सन ,रत्नदीप भंते , मौलाना नदीम सिद्दीकी आदि सभी धर्म के गुरु उपस्थित थे।मथुरा निवासी राष्ट्रीय संत श्री इंद्र देव महाराज ने हिंदू-मुस्लिम एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा है कि संसार में 84 लाख योनियों का आगमन हुआ है, जिसमें मनुष्य ही एक मात्र है जिसमें परिवर्तन है। सब एक ही माला के फूल हैं। सब को एक ही परमात्मा ने बनाया है और सब की ज्योति राम हैं । हमने एकता को सीखा है, अब आप सब को एकता सीखना है। ऋग्वेद में लिखा है की इंसानों को धरती पर दुकान चलाने नही भेजा है बल्कि अच्छे कार्ये करने भेजा गया है। देश में सभी धर्म के लोगों को एक साथ सोने खाने की आदत डालनी चाहिए ताकि देश में शांति स्थापित हो। दुकानें जमाने से देश की शांति समाप्त हो जाएगी, मूर्खो ने हमें लड़ना सिखाया है, हमें मूर्ख नहीं बनना है।
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