नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

बदलापुर बाल यौन हिंसा मामले में सरकार की लापरवाही को जनता तक पहुंचाने और सामाजिक स्तर पर महिला सुरक्षा को निर्धारित करने की मंशा से इंडिया गठबंधन की ओर से आयोजित महाराष्ट्र बंद को राजकीय आंदोलन करार देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। लोकतांत्रिक तरीके से बुलाए गए किसी आंदोलन को कोर्ट किस आधार पर रोक सकता है? शाहीन बाग के आंदोलन को हटाने की सुप्रीम कोर्ट की ऑर्डर की रौशनी में बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश को देखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कोर्ट के आदेश का तत्काल स्वागत किया इससे इस बात को बल मिलता है की जो काम सरकार चाहकर भी नहीं कर पा रही थी उसे कोर्ट ने कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे सरकार को गैर कानूनी करार दिए साल बीत गया लेकिन न्यायिक आदेश की अवमानना के तहत कोर्ट की ओर से सरकार के कामकाज को रोका नहीं गया। बंद पर कोर्ट की रोक के बाद इंडिया ब्लॉक सरकार के खिलाफ मूक आंदोलन करने के लिए सड़क पर उतरा है। जलगांव में महाविकास आघाड़ी में शामिल सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने काले फीते लगाकर सरकार का निषेध किया। संकट निवारण मोचन वगैरा का नेरेटिव धारण करने वाले जामनेर में MVA के नेताओं को शायद संत्री मीडिया की एलर्जी है इस लिए यहां पर मूक आंदोलन हुआ या नहीं इसकी कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है।
मोदी जी कुछ कहेंगे…

कल 25 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जलगांव में लखपती दीदी सम्मेलन में महिलाओं को संबोधित करेंगे। बदलापुर, कोल्हापुर, पुणे, अकोला, नासिक, नागभीड़ में सामने आई महिला यौन शोषण-उत्पीड़न के मामलों में राज्य सरकार फेल साबित हो चुकी है। महाराष्ट्र में घट रही घटनाओं को लेकर मोदी जी कुछ कहेंगे या फिर कठुआ, उन्नाव, हाथरस, बनारस, उत्तराखंड, मणिपुर, महिला रेसलर्स उत्पीड़न जैसे मामलों में साध लिए मौन की तरह चुप रहेंगे?
भुसावल में रामगिरी का विरोध

इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद (स) को लेकर आपत्ती जनक वक्तव्य करने वाले रामगिरी महाराज पर कानूनी कार्रवाई की जाए, इस मांग के लिए भुसावल मुस्लिम समाज ने तहसील कार्यालय पर मोर्चा निकाला। इस मोर्चे में सभी मस्जिदों के इमाम, एडवोकेट एहतेशाम मालिक, जावेद मुल्लाजी, सलीम पिंजारी, मुनव्वर खान, आसिफ खान समेत हजारों लोग शामिल हुए।
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