जलगांव ज़िले में कुल 400 और जामनेर में 76 गांवों के ग्रामिणों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ेगा, टैंकर के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत, प्रशासन सतर्क | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

जलगांव ज़िले में कुल 400 और जामनेर में 76 गांवों के ग्रामिणों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ेगा, टैंकर के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत, प्रशासन सतर्क | New India Times

जलगांव जिले के 15 तहसीलों से करीब 400 गांवों को पीने के पानी के लिए भटकना न पड़े इसलिए टैंकर के प्रस्तावों को मान्यता देने की प्रक्रिया प्रशासन ने शुरू कर दी है। आने वाले अप्रैल मई जून इन तीन महीनों में धूप का पारा रेकॉर्ड ब्रेक रहने वाला है। 10 TMC क्षमता होने के बाद भी गाद के कारण छह TMC पानी स्टोरेज करने वाला हतनुर डैम चांगदेव संगम के पार पूर्णा लाभक्षेत्र में तेजी से सूख रहा है। 12 TMC क्षमता धारण करने वाला वाघुर 70% पानी से लैस है लेकिन लिफ्ट इरिगेशन के अभाव से जलगांव लोकसभा क्षेत्र की जनता की प्यास नहीं बुझा सकता। ” जल से सींचना है खेत-खलिहान खुशहाल करना है जामनेर का किसान ” इसी लाइन के सहारे बीते तीस सालों से विधानसभा पहुंचने वाले भाजपा नेता गिरीश महाजन के गृह निर्वाचन क्षेत्र के 76 गांव में पीने के पानी के लिए टैंकर की प्रतीक्षा में है। आए दिन अखबारो मे बारामती से तुलना करने वाली मैनेज करी हुई खबरों से महाराष्ट्र में पेश किए गए जामनेर में एक भी कारखाना शुरू नहीं हो सका है। पूर्व विधायक ईश्वरलाल जैन ने जिस शुगर मिल, रम फैक्ट्री की नीव रखी थी वो खंडहर बन चुका है। दो साल से बंद पड़े स्टार्च ग्लूकोज प्रोजेक्ट का सिस्टम इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे हि किसी आर्थिक शोषण का शिकार बताया जा रहा है। 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने है सारे देश में धर्म संस्कृति और विरासत की रक्षा करने की भावना को मजबूती प्रदान करने का कोई मौका गंवाया नहीं जा रहा है। नेताओं की ओर से बेरोजगारों के मनोरंजन के लिए शहरों में डीजे, पानी की पर्याप्त व्यवस्था कराई गई है। पीने का लाखो लीटर पानी सड़को पर बहाया जा चुका है और जा रहा है। जलजीवन, भारत निर्माण, 25/15 को चट कर गए ठेकेदारों की ओर से होली मानने के नाम पर गांव कस्बों में बुलाए जा रहे सर्व दलीय नेताओं को सोशल मीडिया में हिरो बनाया जा रहा है और इन्ही गांवों में जल प्रबंधन की योजनाओ में किए गए भ्रष्टाचार से पनप रही पानी की किल्लत से जुड़ा सच जमीन के भीतर दफ़न है।


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