रफीक़ आलम, दमुआ/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:
स्कूली बच्चों ने अनुभूति कार्यक्रम के दौरान वन और वन्य प्राणियों का महत्व समझा। जैसे एक बाघ के वन में रहने से समूचे जंगल में रहने वाले दूसरे प्राणियों और पानी के स्रोतों का संरक्षण अपने आप हो जाता है। उसी तरह हम भी अपना योगदान से पर्यावरण को साफ सुथरा रखकर जंगल बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इस बात को समझाने के लिए मंगलवार जिले के पश्चिम वन मण्डल के दमुआ वन परिक्षेत्र ने स्कूली बच्चों को अनुभूति कार्यक्रम के तहत वास्तविक जंगल, वनस्पति, वन्य प्राणियों उनके वास स्थान और पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका का महत्व समझाया।
कांगला के घने जंगल के बीच नेचर ट्रेल पर आए दमुआ के सरकारी स्कूलों के बच्चों को प्रेरक रिटायर्ड एसडीओ फारेस्ट बीएच गोस्वामी, वीएस कुसरे और रेंजर धर्मेंद्र शर्मा ने बच्चों को पर्यावरण की रक्षा के लिए बाघ का महत्व बताया। कार्यक्रम का संचालन डिप्टी रेंजर जी एन तिवारी ने किया इस अवसर पर बच्चों ने चित्रकला, निबंध प्रतियोगिता में भाग लेकर पुरस्कार ग्रहण किया। शेर की तरह पर्यावरण बचाने के लिए शपथ ग्रहण समारोह भी हुआ, वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी के साथ शिक्षक गण भी उपस्थित रहे। सभी के लिए भोजन व्यवस्था एवं आने जाने का साधन भी उपलब्ध कराया गया।
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