गोदावरी में जल प्रदूषण, पंचवटी घाट पर मिट गई विकास की निशानियां, 2015 के कुंभ में खर्च किया गया था 800 करोड़ रुपये, जर्जर हो गए हैं ब्रिज | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

कल अयोध्या में श्री राम की प्रतिष्ठापना होगी, मोदी सरकार से समग्र दिव्य मंत्रणा के बाद चुनाव आयोग की ओर से फरवरी में लोकसभा के आम चुनावों का प्रोग्राम घोषित किया जा सकता है। 2025 से 2026-27 सिंहस्थ कुंभ मेले के आयोजनों का खाका तैयार है। इसी बीच New India Time’s ने नासिक गोदाघाट और श्री कालाराम मंदिर का दौरा किया। पंचवटी में गोदावरी नदी के दोनों तटों को जोड़ने वाले कुल 6 पुल हैं। पत्थर के पिलर पर टिका गाड़गे बाबा पुल उसके बगल में गोदावरी की गोद में श्रृंखलाबद्ध तरीके से बने तीन छोटे और दो बड़े ब्रिज आज़ अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है।

त्र्यंबकेश्वर से निकलने वाली गोदावरी नदी के मराठवाड़ा में विस्तीर्ण होते जाने वाले पात्र को पंचवटी में कैनल की शल्क दे दी गई है। काल भैरव मंदिर के गुंबद पर जगह जगह पौधे उग आए हैं, जीर्णता के चलते मंदिर के प्रांगण में सुरक्षा संबंधी नोटिस बोर्ड लगाया गया है। बगल में बनी सब्जी मार्केट की शानदार इमारत श्मशान में तब्दील हो गई है। आंखों से दिखाई देता खुला नाला नदी या सुरंगी ड्रेनेज में प्रवेश करता है यह स्पष्ट नहीं। गोदावरी के पानी मे सफ़ेद बादलों की तरह झाग हि झाग है, प्रदुषण की आप कल्पना कर सकते हैं। घाट के दूसरे छोर पर कई पुरानी इमारतें ढहने के मूड में है, आगे श्री बालाजी मंदिर की सिर्फ़ रंगाई पुताई करवाई गई है।

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा किए आंदोलन के कारण पहचाने जाने वाले श्री काला राम मंदिर की एकमात्र वास्तु को हाल फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के लिए चमकाया गया है। पंचवटी रामकुंड से नदी के दोनों किनारों पर करीब डेढ़ किलो मीटर तक घाट बनाएं गए। सीमेंट कांक्रीट के घाट नौ साल में उखड़ चुके हैं। 2015 में संपन्न सिंहस्थ कुंभ के लिए सरकारी तिजोरी से करीब 800 करोड़ रुपया खर्च कर करवाए गए तमाम विकास कामों की निशानियां ढूंढने से नहीं मिल पा रही है। अगली स्टोरी में हम पाठकों को सिंहस्थ कुंभ प्रबंधन 2015 तहत त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में कराए गए विकास की सूचनाओं से अवगत कराने का प्रयास करेंगे।


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