नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
महाराष्ट्र में अकाल घोषित हुआ है या नहीं ? इसकी कोई भी आधिकारिक जानकारी प्रशासन के रिकार्ड में इस लिए नहीं है। क्योंकि सरकार हि अनाधिकारिक और असंवैधानिक है। इस बात का खामियाजा आम कर दाताओं को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें लोकल सरकारी संस्थाओं द्वारा शास्ती के नाम पर डराया और सताया जा रहा है। नगर पालिका, नगर परिषद, महानगर पालिका इन शहरी विकास इकाइयों की ओर से टैक्स संकलन के लिए मुहिम चलाई जा रही है। भोंपू बजाकर चेतावनी दी जा रही है कि अगर फलाने धीमके तारीख के भीतर बकाया भुगतान नहीं किया गया तो 2% ब्याज शास्ती के रूप मे वसूला जाएगा। इसमें शास्ती इस शब्द का मतलब साफ़ नहीं हो पा रहा है।
अगर गवर्नर रूल वाली वर्तमान सरकार अकाल घोषित कर देती है तो सरकारी खजाने में उक्त रूप से डरा धमका कर सख्ती से जमा होने वाले टैक्स संकलन को रोकना पड़ेगा। टैक्स की रकम में 2% ब्याज को छूट और कुल बकाए के लिए किश्तों की सहुलियत देनी पड़ेगी। महाराष्ट्र विधानसभा के शीत सत्र से पहले शिंदे-फडणवीस सरकार ने राज्य के चालीस तहसीलों में अकाल जैसी स्थिती का आंकलन किया। सत्र के कामकाज में विपक्ष ने विधायिका को समूचे सूबे में सूखा घोषित करने की मांग की। विपक्ष मांग करता रहा और सरकार में शामिल हैंडसम डैशिंग वगैरा वगैरा टाइप मंत्री विधान भवन के बाहर बिछी रेड कारपेट पर मॉडलिंग पोजेस में फोटो खिंचवाकर अपने अपने फेसबुक पेज पर अपलोड करते रहे। टैक्स और शास्ती मामले ने तूल पकड़ी तो भूकंप सहायता एवं पुनर्वास मंत्री अनिल पाटील को बयान जारी करना पड़ा जो उनके अपने गृह नगर तक सिमट गया। वैसे भी गोदी मिडिया की ओर से शिंदे और अजीत पवार गुट के मंत्रियों को भाजपा के मुकाबले कितना स्पेस देना है यह फिक्स कर दिया गया है। जनता मांग कर रही है कि सूखे के मामले पर गर्वनर अपनी भूमिका और निर्णय दोनों स्पष्ट करे।
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