जल-जीवन मिशन की व्यथा, खटारा संसाधनों से बिगड़ रही है बिगड़े हुए निर्माण की गुणवत्ता, चहीते ठेकेदारों को दिए जा चुके हैं करोड़ों रुपए के काम | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

मोदी सरकार की हर घर जल योजना वाली चुनावी स्कीम को गारंटी का अमली जामा पहनाने की होड़ में राज्य की गैर कानूनी शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा सैकड़ों करोड़ रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। जनता के जेब से सरकारी तिजोरी में जमा धन से स्थानीय भाजपा नेताओं के चहीते ठेकेदारों को आर्थिक रूप से सींचने का काम प्रशासन कर रहा है। जलगांव जिले में जलगांव ग्रामीण और जामनेर इन दोनों तहसीलों में जल-जीवन के करीब 250 करोड़ रुपए के काम शुरू है। जामनेर में 35/15 का पैमाना है यानी एक को 35 और दूसरे ठेकेदार को 15 टेंडर दिए गए है। 35 वाले के पास निर्माण की पर्याप्त सामग्री नहीं है। किराए पर मशीनरी उठाकर साइड बाय साइड काम किया जा रहा है।

कृपया पाठकों से अनुरोध है कि इस सीन को आप अक्षय कुमार की फ़िल्म खट्टा मीठा के सचिन टीचकूले की भूमिका से संतुलित ना करें। सोनबर्डी पर वाकी गांव की बन रही टंकी के निर्माण में सीमेंट कांक्रीट गोदने में बनते बिगड़ते खटारा मिक्सर के कारण निर्माण काम की गुणवत्ता और बिगड़ रही है। गीले कांक्रीट को सूखने में तीस मिनट तक का समय लगता है। इसी बीच मिक्सर चालू बंद पड़ता रहता है और सूखे माल में गीले माल को ठूस दिया जाता है। इससे तकनीकी गुणधर्म के चलते सीमेंट कांक्रीट आपस में बेमेल साबित हो कर पानी की टंकी की क्षमता को चुनौती खड़ा कर रहा है। कई साइड्स पर नरम जमीन को हार्ड वेयर के रेट लगाकर Mesorment book’s पूरे कर लाखों के बिल निकाल लिए गए हैं। पाइप लाइन को कागज़ पर लंबा खींचा गया है वही वास्तविक रूप में शॉर्ट कट अपनाकर उसे छोटा किया गया है। 250 करोड़ का जल जीवन मिशन कमीशन की भेंट चढ़ चुका है। जमीन के नीचे दबाए जा रहे इस भ्रष्टाचार की जांच 2024 के बाद ही होगी।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading