हर इंसान दूसरों का ख्याल रखे यहां आकर हमें उन बातों को जानने का मौका मिलता है: शहर काजी | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, इंदौर (मप्र), NIT:

हर इंसान दूसरों का ख्याल रखे यहां आकर हमें उन बातों को जानने का मौका मिलता है: शहर काजी | New India Times

भोपाल दुनिया के पांच बड़े इस्लामिक आयोजनों में से एक है। आलमी तब्लीगी इज्तिमा 8 दिसम्बर आज से शुरू हो चुका है। भोपाल में इस साल 77 वां आयोजन है यहां देश-विदेश से 10 लाख लोग आयेंगे। इज्तिमा स्थल ईंटा खेड़ी पर करीब 300 एकड़ में इंतजाम किए गए हैं। 90 एकड़ में ठहरने के लिए टेंट लग चुका है। पहले दिन शुक्रवार को सामूहिक निकाह होंगे, दूसरे और तीसरे दिन विद्वानों की तकरीर होंगी।‌ 11 दिसंबर को सामूहिक दुआ के साथ समापन होगा।

हर इंसान दूसरों का ख्याल रखे यहां आकर हमें उन बातों को जानने का मौका मिलता है: शहर काजी | New India Times

300 सामूहिक निकाह भी होंगे

पूरी दुनिया में शांति और एकता के संदेश के साथ हर एक भलाई के कामों की सीख देने वाले आलमी तब्लीगी इस्तिमा शुक्रवार सुबह से शुरू हो चुका है। यह 77 वां आयोजन होगा। पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है। चार दिन चलने वाले इस मजहबी समागम का समापन सोमवार को अपन व आमान की दुआ के साथ होगा। तब्लीगी जमात के दिल्ली मरकज समेत देश के कई हिस्सों से आए उलेमाओं की तकरीरें होंगी।

हर इंसान दूसरों का ख्याल रखे यहां आकर हमें उन बातों को जानने का मौका मिलता है: शहर काजी | New India Times

सादगी का पैगाम देने यहां पहुचेंगे

300 सामूहिक निकाह भी होंगे यहां से देश दुनिया में जमातें सफर पर रवाना होंगी।

तीन साल बाद बिना पाबंदियों के आयोजन

तीन साल बाद बिना किसी पाबंदी के आयोजन होने जा रहा है। पिछले साल विदेशी जमातें नहीं आई थी।
उससे पहले कोविड के कारण बाधा आई थी।

6 लोगों से हुई थी शुरुआत

पहला आयोजन छह लोगों से 1946 में हुआ था। 1947 से ताजुल – मसाजिद में इसकी शुरुआत हुई। शामिल होने वाले लोगों की संख्या साल दर साल बढ़ती गई।

चार दिन में इस तरह से तकरीर की तकरीब मुनक़्क़ीद होगी।

पहले दिन

पहले दिन यानि आज शुक्रवार को सुबह फजिर की नमाज से इज्तिमा की इब्तिदा हुई। सबसे पहली तकरीब मौलाना जमशेद साहब की हुई। दोपहर को सामूहिक निकाह हुए।
मगरिब के बाद उलेमा की दुनिया व आख़िरत के बारे में कई गई तकरीर।

दूसरे दिन

दूसरे दिन शनिवार को मरकज से आए उलेमा बयान करेंगे।
शुक्रवार को इनके नाम तय होंगे। यहां ईमान, नमाज, इल्म और जिक्र, भक्ति के समय जैसे छह बिंदुओं पर चर्चा होगी।

तीसरे दिन

रविवार को उलेमा की बयान और तकरीर के सिलसिले के साथ यहां सीखने और सिखाने का भी क्रम होगा।
विदेशी जमातों के साथ ट्रांसलेटर मौजूद होते हैं।

चौथे दिन

सोमवार की सुबह दिल्ली मरकज के मौलाना साद साहब के बयान होंगे। नौ बजे तक बयान के बाद अमनो आमाल पुरी कायनात की दुआ के साथ इज्तिमा का समापन होगा।

ये हैं व्यवस्थाएं…

इज्तिमा आयोजन के 77 बरस में पहली बार सामूहिक निकाह आयोजन के पहले दिन होंगे।
इस बार करीब 350 से ज्यादा निकाह रजिस्ट्रेशन हुए हैं।

◆पानी के लिए…20 किमी लंबी पाइप लाइन, 52 ट्यूबवेल, 22500 टोटियां, एक करोड़ लीटर पानी प्रतिदिन
◆नहाने और वूजू के लिए गर्म > पानी, 2000 लीटर पानी की 8 टकियों में गर्म होता रहेगा पानी

◆दोगुना वोलेंटियर, रखेंगे सफाई ” का ख्याल, पंडाल में डस्ट बीन

◆ट्रीटमेंट प्लांट से इज्तिमागाह को ॥ रखा जाएगा बदबू रहित
◆प्रबंधन से जुड़े जावेद मियां कंजे ॥ मौलवी मिस्बाह उद्दीन, हकीम साहब, मुन्ने मियां किए जा रहे हैं याद
◆इज्तिमागाह पहुंच मार्ग पर वोलेंटियर संभालेंगे यातायात व्यवस्था, पुलिस की रहेगी निगरानी
◆बाहर से आईं जमातों का गुरुवार सुबह से ही पहुंचने का सिलसिल शुरू, देर तक चलता रहा दौर, कई पहुंचेंगे शुक्रवार सुबह इज्तिमा शिरकत और
◆ इस्तकबाल के लिए शहर भर में होर्डिंग पोस्टर, नए विधायकों और उनके समर्थकों के चेहरे भी नजर आ रहे हैं।

आएंगें ये प्रमुख इस्लामिक विद्वान

इज्तिमा में दिल्ली, देवबंद, अलीगढ़ सहित देश के कई हिस्सों से विद्वान आएंगे। दिल्ली मरकज से मौलाना साअद, मौलाना जमशेद, मौलाना शौकत, मौलवी शहजाद, और मौलाना मुश्ताक सहित कम से कम 20 विद्वानों की तकरीर होगी।

इंसानियत के लिए दिया जाता है पैगाम

भोपाल में पूरी दुनिया से लोग जमा होते हैं। यह मौका है जब ऊंच – नीच और छोटे-बड़े का फक मूल सभी के यहां आने का मकसद अच्छी और दीनी बातों को सीखना होता है। इस्लाम में जिंदगी गुजारने का एक तरीका बताया गया। आलमी तब्लीगी इज्तिमा हर इंसान को सालों से इसकी सीख दे रहा है। हजारों लोग इसकी तैयारी में लगते हैं।हदीसों में बताया है, तुम में से बेहतर इंसान वह है, जिसने किसी को तकलीफ न पहुंचाई हो। हर इंसान का ये फर्ज है कि वह दूसरों का ख्याल रखे। यहां आकर हमें उन बातों को जानने का मौका मिलता है। अपनी जिंदगी किस तरह से गुजारे इज्तिमा से हमें ये सीख मिलती है। इंसान के इस दुनिया में आने का मकसद केवल स्वयं के लिए जीना
नहीं है। वह दूसरों के लिए मददगार बने। कष्टों को मिटाने वाला हो। यहां आकर जो सीख मिली उस पर अमल
करें। दूसरों को भी इसकी सीख दे।
सय्यद मुस्ताक अली नदवी सहर काज़ी भोपाल।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading