कासिम खलील, बुलढाणा ( महाराष्ट्र ), NIT;
विगत कुछ माह में बुलढाणा जिले में राशन के अनाज की कालाबाजारी के कई मामले उजागर हुए हैं, जिसमें कई आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है।
उजागर हुए मामलों में यह बात आई है कि राशन का अनाज दुकानों पर न पहुंचाते हुए सीधे कालेबाजार में बेचा जा रहा है। इस में राशन माफिया, राशन दुकानदार, यातायात ठेकेदार सहित आपूर्ति विभाग के अधिकारी व कर्मी शामिल हैं। ऐसी ही एक घटना शेगांव में पिछले जनवरी माह में सामने आने के बाद जिलाधीश चंद्रकांत पुलकुंडवार ने जांच समीति की रिपोर्ट को देखते हुए संबंधित यातायात ठेकेदार पर पुलिस थाने में अपराध दर्ज कराने का आदेश एक माह पहले जारी करने के बाद आज तक अपराध दर्ज नहीं किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि जिला आपूर्ति अधिकारी व शेगांव तहसीलदार जिलाधीश के आदेश को ठेंगा बताते हुए भ्रष्टाचारी यातायात ठेकेदार को बचाते हुए उस पर अपराध दर्ज करने में टाल मटोल कर रहे हैं।
पिछले जनवरी माह से अब तक बुलढाणा जिले में 17 राशन तस्करी के ऐसे मामले हैं जिसमें राशन दुकानदार, राशन माफिया तथा राशन यातायात ठेकेदार पर ई.सी. एक्ट के तहत पुलिस थानो में अपराध दर्ज किए गए हैं। गरिब जनता का सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अनाज कालेबाजार में चला जा रहा है। 25 जनवरी को गुप्त जानकारी के आधार पर शेगांव में खरिदी – बिक्री संघ के गोदाम में छापा मारकर 350 बोरियां गेंहू – चावल पकडे गए थे जो वितरण प्रणाली का अनाज था। यह अनाज द्वार पहुंच योजना के तहत संबंधित ढुलाई ठेकेदार ने राशन दुकान पर न ले जाते हुए अन्य स्थान पर कालाबाजारी के उददेश से उतार दिया था। इस मामले में केवल राशन दुकानदार गजानन निले पर ही अपराध दर्ज करते हुए अन्य दोषियों को बचा लिया गया था जबकि शासन नियम का उल्लघन करने वाले ठेकेदार पर भी अपराध दर्ज किया जाना चाहिए था पर ऐसा हुआ नही। इस गंभीर मामले की शिकायत होने के बाद तत्कालिन जिलाधीश डॉ. विजय झाडे ने एक जांच समीति गठीत कराई थी, तत्कालिन अप्पर जिलाधीश टाकसाले ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यातायात ठेकेदार ने शासन से किए करारनामा और शर्तो को भंग किया है इसलिए यातायात ठेकेदार श्रीनाथ ट्रांन्सपोर्ट कंपनी, अमरावती को दोषी करार दिया। तत्पश्चात यह फाइल विद्यमान जिलाधीश पुलकूंडवार के सामने पेश किए जाने के बाद तकरीबन एक माह पले उन्होंने एक आदेश जिला आपूर्ति अधिकारी को जारी करते हुए कहा की दोषी ठेकेदार पर तत्काल शेगांव पुलिस थाने में अपराध दर्ज किया जाए। यह आदेश डीएसओ को मिलने के बाद उन्होंने कई दिनों तक इस आदेश को दबाए रखा। वरिष्ठ स्तर से दबाव बढने पर 23 सितंबर को डीएसओ बुलढाणा ने शेगांव तहसीलदार को पत्र देते हुए ठेकेदार के खिलाफ गुनाह दाखिल करने को कहा लेकिन आज तक शेगांव तहसीलदार ने भी अपराध दर्ज नही कराया। इससे यह बात स्पष्ट हो रही है कि, जिलाधीश का आदेश भी कोई मायने नही रखता। आज भी भ्रष्ट ठेकेदार को बचाने के लिए आपूर्ति विभाग प्रयास कर रहा है। अब यह सवाल खडा होता है कि, आखिर यातायात ठेकेदार को बचाने में किस का क्या फायदा है?
उपायुक्त की भूमिका संदेह के घेरे में
अधिकारी का कर्तव्य है कि वह निष्पक्षता से अपनी भूमिका को निभाए। बुलढाणा जिले में राशन तस्करी का मामला काफी सुर्खियों में है। राशन का अनाज सुरक्षा के साथ निर्धारित स्थान पर पहुंचाने की जिस पर जिम्मेदारी है उसी ठेकेदार पर चिखली व खामगांव में अपराध दर्ज है। ठेकेदार की ‘साल्वेंसी’ का फर्जीवाडा भी सामने आ गया है। ऐसे गंभीर आरोप यातायात ठेकेदार पर होने के बाद भी आपूर्ति विभाग के अमरावती उपयुक्त श्री मावस्कर बुलढाणा पहुंचकर 3 से 4 घंटे आपूर्ति विभाग में भ्रष्टाचारी ठेकेदार के साथ बैठते हैं। यह बात उनके पद और सन्मान को कलंकित करने वाली है। ठेकेदार के गंभीर दोष को देखने के बाद भी उपायुक्त द्वारा ठेकेदार पर कोई कारवाई नहीं होना संदेह को जन्म दे रहा है।
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