फर्जी चेयरमैन बनकर बेच दी सहकारी संस्था की प्रॉपर्टी, सभासद असुरक्षित, कठघरे में खड़े सरकारी अधिकारी | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

फर्जी चेयरमैन बनकर बेच दी सहकारी संस्था की प्रॉपर्टी, सभासद असुरक्षित, कठघरे में खड़े सरकारी अधिकारी | New India Times

जलगांव जिले के जामनेर में जमीन से जुड़ा एक अजीब किस्म का फर्जीवाड़ा सामने आया है जिसको सरकारी अधिकारियों की संदेहजनक अनदेखी से अंजाम दिया गया है। मामले में शिकायतकर्ता संतोष जाधव पंचायत समिति के शिक्षा विभाग में बाबू हैं और उस संस्था के सभासद हैं जिस की प्रॉपर्टी को गैर कानूनी तरीके से बेच दिया गया है। सहायक रजिस्ट्रार सहकारी संस्था जामनेर के दफ़्तर में पंजीकृत गणपति नगर सहकारी गृह निर्माण संस्था की मालकियत वाली पलासखेड़ा में स्थित अकृषिक जमीन गट नं 54 के अंदर के प्लॉट नं 39, 40, 41 को रामेश्वर संतू चांदोरे और बालू शहादु गवले ने जाली दस्तावेज के सहारे नकली चेयरमैन बनकर बेच दिए हैं। जाधव ने कहा है कि सरकारी सब रजिस्ट्रार (संपत्ति पंजीकरण ) पहुर ने बिना किसी जांच पड़ताल के उक्त व्यवहार को रजिस्टर्ड कराया। जिसके नाम रजिस्ट्री कराई उस लेनदार अनूप अनिल कुमार बोहरा का गणपति नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था से कोई लेनादेना नहीं है।

फर्जी चेयरमैन बनकर बेच दी सहकारी संस्था की प्रॉपर्टी, सभासद असुरक्षित, कठघरे में खड़े सरकारी अधिकारी | New India Times
विज्ञापन

अनूप ने इसी प्रॉपर्टी को राहुल राजकुमार कावड़िया को बेच दिया। सहायक रजिस्ट्रार सहकारी संस्था जामनेर कार्यालय को दिए शिकायत पत्र में जाधव ने आरोप लगाया है कि सहकारी संस्था कार्यालय की इजाज़त के बिना नकली चेयरमैन और उसके साथियों ने झूठे और बोगस दस्तावेज बनाकर गणपति नगर गृहनिर्माण सहकारी संस्था के प्लॉट्स की बिक्री रजिस्ट्री को पहूर में दर्ज कराया। इस रजिस्ट्री को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दोषियों के खिलाफ फौजदारी मामला कलमबद्ध किया जाए साथ ही लेनदार अनूप बोहरा से बिक्री रकम वसूली जाए। गणपति नगर संस्था में सरकारी निगरानी में आम चुनाव नहीं कराए गए हैं इस लिए प्रशासक नियुक्त किया जाना चाहिए। ज्ञात हो कि रिपोर्ट में जिस गृहनिर्माण संस्था का जिक्र किया गया है उसको GIS के नाम से पहचाना जाता है। जाधव समेत कई सरकारी कर्मी इस सोसायटी के ऐसे सभासद हैं जिन्हें आवास मुहैया किया गया है लेकिन मकानों पर कानूनी रूप से मालिकाना हक़ नहीं दिया गया है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading