संदीप तिवारी, ब्यूरो चीफ, पन्ना (मप्र), NIT:

नगर अमानगंज से एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें असहाय गरीब बुजूर्ग महिला तथा कथित बन बैठे उन मसीहों को पानी पी पी कर कोष रही है जिन्होंने बुजुर्ग महिला को अति गरीबी का राशन कार्ड हाथ में तो थमा दिया लेकिन राशन की लानत में दर दर भटकने को मजबुर भी कर दिया। उस महिला के पेट पर लाचार सिस्टम की लात पड़ने से जो तिलमिलाहट है शायद आप समझ सकें।एक तो बुढ़ापा ऊपर से कोई संतान नहीं कैसे अमानगंज बार्ड क्रमांक 9 की रहवासी बुजुर्ग महिला सरमन बाई ढीमर जिनके ऊपर न तो पक्की छत है न संतान बस छप्पर बाला धर ओर खुद जिंदगी ओर गरीवी से संघर्ष ओर मजदूरी लायक शरीर भी नहीं अब कैसे भरेगा पेट अति गरीबी का रासन कार्ड देखकर या बिक्रम बेताल की कहानी से नहीं जनाब अगर किसी बुजुर्ग की उंगली राशन वितरण मसीन में उंगलीनही आएगी तो क्या उसे दो वक्त की रोटी जिसका उस पर हक है उसे अनाज नहीं मिल पायेगा तो फिर इसे आप क्या कहेंगे लचर सिस्टम या डिजटल इंडिया की तरक्की क्या कोई प्रावधान नहीं की इस जैसे ओर भी अन्य लोगों को जिनका हक कहे या पेट पालने के लिए दो वक्त का अनाज मिल सके पेट भरने को तभी तो होगा सबका साथ ओर सबका विकास।