रबी की चिंता ख़त्म, सारे डैम भर गए, कपास और प्याज़ को भूल चुके मंत्री गणश, मंत्रियों के निर्वाचनों में PWD की सड़कों ने कुछ ही सालों में तोड़ा दम | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

रबी की चिंता ख़त्म, सारे डैम भर गए, कपास और प्याज़ को भूल चुके मंत्री गणश, मंत्रियों के निर्वाचनों में PWD की सड़कों ने कुछ ही सालों में तोड़ा दम | New India Times

दस सितंबर तक अकाल की चपेट में आने से बचा महाराष्ट्र, झमाझम बारिश के बाद संभल गया है। हतनूर, वाघुर, गिरना, गुल, सुकी, मंगरुल, अंभौरा, मोर, अग्नावती , बोरी, मान्यड, भोकरबारी, हिवरा, अंजनी, तोंडापुर समेत अन्य निम्न मध्यम डैम पूर्ण क्षमता से भर गए है। जामनेर तहसील में तत्कालीन सिंचाई मंत्री एकनाथ खडसे के कार्यकाल (1995-1999) में बने तमाम छोटे बड़े तालाब 70% पानी से लब चुके है। रबी को लेकर किसानों की चिंता अब खत्म हो गई है। लेकिन राज्य में सरकार के नाम पर चल रही असंवैधानिक संस्था की चिंताएं काफ़ी बढ़ गई है। उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 सदस्यों की अपात्रता को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के स्पीकर को लेकर सख्त टिप्पणियां की है CJI ने कहा “स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का पालन करना होगा” 11 मई को कई महीने बीत चुके है और अब तक केवल नोटिस जारी किया गया है।

रबी की चिंता ख़त्म, सारे डैम भर गए, कपास और प्याज़ को भूल चुके मंत्री गणश, मंत्रियों के निर्वाचनों में PWD की सड़कों ने कुछ ही सालों में तोड़ा दम | New India Times

कोर्ट ने कहा स्पीकर 10 वी अनुसूची के तहत एक ट्रिब्यूनल है जो अदालत के अधिकार क्षेत्र के तहत उत्तरदायी है”। चीफ़ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने स्पीकर को सुनवाई के लिए एक हफ्ते का समय दिया है और इसके आगे की सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद का समय तय किया है। इधर सुप्रीम कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को लेकर सख़्त टिप्पणियां की जा रही थी और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री सरकारी खर्चे पर द्रास में भारतीय सेना के शिविर का जायजा ले रहे थे। इसके पहले इवेंट के नाम पर औरंगाबाद में संपन्न कैबिनेट बैठक के आलीशान खर्च ने जनता की जेब काट ली है। इस बैठक में कपास, प्याज़ के अनुदान राशि को लेकर किसी भी मंत्री ने कुछ नहीं कहा। मंत्रियों की ओर से बाते तो काफ़ी बड़ी बड़ी की गई थी की केंद्र को अपनी व्यापार नीतियों में बदलाव करने के लिए विवश किया जाएगा वगैरा वगैरा। समय समय पर आंदोलनों और कैमरे को फेस करने वाले भाजपा नेता गिरीश महाजन आंदोलकों की मांगो को लेकर आज तक कैबिनेट में कोई ठोस समाधान निकालने में सफ़ल नही रहे है। वैसे राज्य सरकार को अलग से राष्ट्रवाद विकास और आंदोलन (संकट) निवारण मंत्रालय शुरू कर नेताओ को चमकाने वाली टीवी स्क्रीन के लिए लीडर मैनेजमेंट का बजट तय कर देना जाना चाहिए।

सड़कों ने तोड़ दिया दम:- भाजपा मंत्रियों के गृह नगरों में 2017 में बनाई मुख्य सड़कों ने महज छह सालों के भीतर दम तोड़ दिया है। गिरीश महाजन, गुलाबराव पाटील और अनील पाटील के निर्वाचन क्षेत्रो मे PWD की सड़कों का हाल बेहद बुरा है। जामनेर में विकास के नाम पर तीस सालों में पहली बार बनाई गई फोर लेन सड़क आखिरी सांस गिन रही है। PWD की ओर पहले ही 300 करोड़ बकाया होने के कारण जिला ठेकेदार संगठन कोई नया काम लेने को तैयार नहीं है।


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