मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

बुरहानपुर के सियासी, समाजी हलकों में यह खबर बड़े दुख के साथ पढ़ी और सुनी जाएगी कि बुरहानपुर में अपने ज़माने की मशहूर समाजी शख्सियत शरीफ़ मोहम्मद ख़ान (पीलू का तकिया) का गुरुवार की सुबह लगभग 9.30 बजे अपने मालिके हकीकी से जा मिले। वे लगभग एक वर्ष से बीमार थे। वे एडवोकेट/शायर आबिद ख़ान तालिब हाशमी के मामू एवं नदीम खान, मास्टर नईम खान नम्मू भाई और जावेद खान जब्बू भाई के वालिदे मोहतरम थे। श्री खान इंतकाल के वक्त उनके बच्चे किसी काम से मुंबई गए हुए थे। उनका जनाज़ा रात्रि 10:30 उनके आबाई मकान पीलू का तकिया खान का वार्ड से उठाया गया और नमाज़ ए जनाज़ा खानका वार्ड, पीलू का तकिया प्रांगण में ही अदा की गई। नमाज़ ए जनाज़ा उनके पुत्र नदीम ख़ान ने अदा फरमाई। जनाजे में बड़ी संख्या में नगर के गणमान्य जनों ने शिरकत की। उन्हें चीताहरण कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया। वे अनेक सामाजिक, धार्मिक संगठनों से जुड़े हुए थे। शाहबानो प्रकरण में मुस्लिम समुदाय की ओर से विरोध दर्ज करने के लिए बुरहानपुर के गुलमोहर मार्केट में लगभग 12 घंटे की ऐतिहासिक सभा हुई थी, इस के आयोजन में शरीफ मोहम्मद खान की भी महती भूमिका थी। अल्लाह मरहूम को गरीक़ ए रहमत फरमाए और जन्नतुल फिरदौस में आला से आला मक़ाम अता फरमाए। आमीन सुम्मा आमीन या रब्बुल आलमीन।
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