नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
बुधवार की दोपहर करीब दो बजे जामनेर बस स्टैंड पर अनजान तत्वों ने छात्रों की आड़ में एक अल्पसंख्यक समुदाय के लड़के को घेरकर बुरी तरह से पीटा और कपड़े फाड़कर उसे अर्धनंगा कर दिया। इस मामले को लेकर NIT ने जब जानकारी ली तब पता चला कि किसी अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के युवक को इस संदेह के आधार पर पीटा गया कि वह लड़कियों की छेड़खानी वगैरह में लिप्त था। इस प्रकरण में जो तत्व शामिल थे वह छात्रों की आड़ में भीड़ बनकर आए थे। बस स्टैंड परिसर के बाहर ठेले लगाने वालों ने बताया कि आज लगातार तिसरी बार ऐसी घटना हुई है। आखिर वो कौन से रक्षक टाइप ग्रुप हैं जो कानून हाथ में लेकर शहर में मॉब लिंचिंग की वारदात को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं? बेरोजगार युवाओं के यह कथित ग्रुप गोदी मीडिया के जहरीले धार्मिक प्रचार का शिकार हैं और उनको संरक्षण देने वाले दल कौन हैं यह सब को पता है। अभी तो यह भी सुनने को मिल रहा है की इन गुटों को हर महीने जेब खर्ची भी दी जाती है। नफ़रत की सोच ने जामनेर में खुलेआम दस्तक दे दी है जिसे पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण बल मिल रहा है। उक्त घटना के बाद पीड़ित की ओर से पुलिस थाने में तहरीर दर्ज कराने की पहल की गई है।
पुलिस चौकी में पुलिस की तैनाती नहीं
14 करोड़ रूपए की लागत से बने जामनेर बस अड्डे पर पुलिस चौकी है लेकिन उसमें पुलिस की तैनाती नहीं है। जब जब लोकल मीडिया मे बस अड्डे को लेकर खबरें चलती हैं तब कुछ दिन के लिए बस अड्डे पर पुलिस के बजाये होमगार्ड को ड्यूटी पर लगाया जाता है बाद में वर्क लोड का कारण बताकर होमगार्ड भी गायब कर दिए जाते हैं लेकिन कागज पर तैनाती कायम होती है। बस अड्डे पर CCTV का कोई सिस्टम नहीं है जो स्वतंत्र रूप से निगरानी कर सके। पुलिस स्टेशन इमारत के अलावा शहर में सार्वजनिक जगहों पर कहीं भी CCTV सिस्टम कार्यरत नहीं है। लोगों ने बताया कि जिन खंभों पर एक करोड़ रूपए खर्च कर सीसीटीवी बिठाए गए हैं वो कभी शुरू ही नहीं हो सके, सारा का सारा पैसा नेताजी का ठेकेदार खा गया।
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