स्कूल जाने की उम्र में बच्चे बीन रहे हैं कचरा, शिक्षा से हो रहे हैं वंचित | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

स्कूल जाने की उम्र में बच्चे बीन रहे हैं कचरा, शिक्षा से हो रहे हैं वंचित | New India Times

नए स्कूल सत्र को शुरू हुए दो माह बीत चुके हैं जनपद सहित पूरे प्रदेश में भीषण गर्मी का प्रकोप है इसलिए स्कूल में अवकाश है लेकिन अभी भी नगर में कई बच्चे ऐसे हैं जिनका किसी भी स्कूल में दाखिला नहीं हुआ है। ऐसे कई बच्चे स्कूल जाने की उम्र में कबाड़ बीन रहे हैं। इससे ये बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और नगर की गलियों में कबाड़ बीनते हुए घूम रहे हैं लेकिन इन्हें स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए जिम्मेदार कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं इससे इन बच्चों का भविष्य अंधेरे में है।
नगर के बस स्टैंड, रेलवे-स्टेशन, ओवरब्रिज सहित कई अन्य क्षेत्र में रोजाना इस तरह से तीन से चार बच्चे हाथ में थैली लेकर कबाड़ बीनते देखे जा सकते हैं। इन्हें स्कूलों में दाखिला दिलाने व शिक्षा से जोड़ने के लिए जिम्मेदार कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। जबकि ये बच्चे इसी प्रकार रोजाना हाथों में थैली लेकर गली, कूचे, नालियों में प्लास्टिक, लोहे व अन्य भंगार को चुनकर अपना पेट भरकर भविष्य बिगाड़ रहे हैं। इनको किसी भी सामाजिक संगठनों द्वारा ना तो इन्हें स्कूल की ओर पहुंचाया जा रहा है ना ही कोई समझाइश दी जा रही है जबकि हर बच्चे को शिक्षा से जोड़ने के लिए सरकार लाखों-करोड़ों रुपए योजनाओं पर खर्च कर रही है।इसके बाद भी बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। जागरूकता के अभाव में इन बच्चों को पालक इन्हें स्कूल नहीं भेजकर इनसे कबाड़ बीनने का काम करा रहे हैं। नगर में शिक्षा के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए शासन स्तर पर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। यही वजह है कि इन जैसे कई बच्चे शिक्षा से वंचित होकर अपना भविष्य बिगाड़ रहे हैं।

बच्चों को सरकारी स्कूलों में दिलाएं दाखिला

नगर के सामाजिक कार्यकर्ता और बचपन बचाओ फाउंडेशन के लोगों ने बताया कि कचरा बिनने वाले बच्चों के पालक भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।इन बच्चों को भरपेट भोजन तक नहीं मिल पाता है।इससे ये बच्चे अपना पेट भरने के लिए दिनभर कचरे के ढेरों से खाली बोतल,प्लास्टिक व लोहा चुनकर भंगार में बेचकर अपना पेट भर रहे हैं।जबकि पालक यदि इन्हें सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाएं तो इन्हें मध्याह्न भोजन मिलेगा साथ ही पुस्तकें सहित स्कूल की यूनिफाॅर्म भी शासन की ओर से स्कूलों में बच्चों को दी जा रही है लेकिन इन बच्चों के पालक अपनी जिम्मेदार नहीं निभा रहे हैं साथ ही प्रशासनिक जिम्मेदार भी इन्हें जागरूक करने के लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं।बचपन बचाओ अभियान के अंतर्गत बृजेश मिश्रा सहित उनकी पत्नी पूर्णिमा मिश्रा भी ऐसे बच्चों को लेकर गम्भीर है और उनको जागरूक करने के लिए प्रेरित करते हैं और स्कूल में पढ़ने के लिए बताते हैं उनकी इस पहल से कई बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए जाने लगे हैं।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading