मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
ग्राम एमागिर्द अंतर्गत सिंधी बस्ती बायपास चौराहे स्थित हुसैनी मैरिज हॉल के समीप खाली पड़ी भूमि पर कॉलोनाइजर सर्वश्री सैय्यद मुस्ताक अली उर्फ बट्टू और सैय्यद तारिक द्वारा जेसीबी से जमीन समतल कर बिना अनुमति दीवार का निर्माण कार्य किया जा रहा हैं। उक्त आराेप स्थानीय लोगों द्वारा लगाया जाकर उक्त समतल कार्य के विरोध में पास के ही स्थानीय रहवासियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि उक्त ज़मीन पीडब्ल्यूडी विभाग में दर्ज है और कॉलोनाइजर अवैध रूप से कब्ज़ा करना चाह रहा हैं। शिकायतकर्ता गण में स्थानीय महिलाओं का कहना है कि कॉलोनाइजर द्वारा यहां आरसीसी में बिना अनुमति के दीवार का निर्माण कार्य किया जा रहा है। दीवार बनने से हमें हवा व रोशनी एवं आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। हम लोग यहां कई वर्षों से पट्टे की जमीन पर निवासरत हैं। ऐसे में कोई बाहरी व्यक्ति आकर हमारी ज़मीन पर कब्जा करेंगा तो यह हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। कई महिलाओं ने कड़ा विरोध कर अपनी जान की परवाह किए बिना ही जेसीबी के सामने बैठ गई, जिसके बाद कॉलोनाइजर व उसके हामियों को कार्य रोककर उलटे पांव मौके से लौटना पड़ा। स्थानीय लोगों का कॉलोनाइजर से कहना है कि यदि उनके पास ज़मीन के पुख्ता दस्तावेज़ हैं तो वह उन्हे दिखाए, लेकीन कॉलोनाइजर द्वारा उन्हे कोई दस्तावेज़ नहीं बता पाए। इसी मामले को लेकर 20 से अधिक लोग एसडीएम एवं कलेक्टर को शिकायत करने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, लेकीन कलेक्टर नही मिलने पर उन्होने एसडीएम को लिखित शिकायत पत्र देकर कॉलोनाइजर मुस्ताक अली उर्फ बट्टू और सैय्यद तारिक की शिकायत की हैं। लोगों का कहना है कि इस बेशकीमती करोड़ो की जगह पर कॉलोनाइजर की बहुत पहले से नज़र गढ़ी है। वही कॉलोनाइजर सैयद तारिक निवासी जय स्तंभ का कहना है कि उनके पास ज़मीन से संबंधित संपूर्ण दस्तावेज़ और एनओसी आदि मौजूद हैं और समय आने पर बता दिया जाएंगा। कालोनाइजर तारिक अली का कहना है कि यहां के स्थानीय निवासियों ने उनकी निजी भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है। तारिक अली के अनुसार रेहवासी यह चाहते हैं कि उनके कब्जे के बाद की जगह से बाउंड्री वॉल बनाकर निर्माण कार्य शुरू करें। यही विवाद का कारण है। इस मामले में कॉलोनाइजर सैयद मुश्ताक अली से जब बात की तो उन्होंने कहा कि उक्त भूमि की हमारे द्वारा रजिस्ट्री कराई गई हैं हमारे पास भूमि के सभी दस्तावेज़ हैं। अब देखना यह है कि कॉलोनाइजर की बात में कितनी सच्चाई है और स्थानीय लोगों का आरोप कितना सत्य है। जो भी हो लेकिन शासकीय विभाग के सीमांकन के बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी होगा।
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