ग्रामविकास मंत्री गिरीश महाजन ने 24 गांवों में रखी जलजीवन मिशन की नींव, हर घर नल हर घर जल लेकिन कब होगी परियोजनाएं सफ़ल??? | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

ग्रामविकास मंत्री गिरीश महाजन ने 24 गांवों में रखी जलजीवन मिशन की नींव, हर घर नल हर घर जल लेकिन कब होगी परियोजनाएं सफ़ल??? | New India Times

सूबे के वर्तमान ग्रामविकास मंत्री गिरीश महाजन ने अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र जामनेर के 24 गांवों में जलजीवन मिशन योजना का आरंभ किया है। पाठक इन गांवों की सूची को भाजपा की ओर से खबर मे प्रकाशित विज्ञापन में देख सकते हैं।
जलगांव जिले के प्रभारी मंत्री गुलाबराव पाटील की अध्यक्षता में 11 और 12 मार्च को आयोजित इस भूमिपूजन समारोह के बहाने भाजपा द्वारा नारीयल तोड़ो वोटर जोड़ो फार्मूले को लेकर आम जनता मे कोई खास आकर्षण नही है ! वैसे भी स्थानीय विपक्षी नेता लगातार भाजपा पर प्रचारवादी राजनीति का आरोप लगाते आए हैं। जलजीवन मिशन तहत ब्लॉक के 180 मे से मात्र 24 गांवो के नागरिको को हर घर नल, हर घर जल से लाभान्वित किया जाना है ! केंद्र और राज्य की इस साझा योजना मे दोनो सरकारो की फिफ्टी फिफ्टी आर्थिक देनदारी है! योजना के संचालन के लिए सूबे मे 13 हजार करोड़ रुपए का फंड आबंटित किया गया है।

ग्रामविकास मंत्री गिरीश महाजन ने 24 गांवों में रखी जलजीवन मिशन की नींव, हर घर नल हर घर जल लेकिन कब होगी परियोजनाएं सफ़ल??? | New India Times
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यह स्किम स्वच्छता और जलापूर्ति मंत्रालय के अंर्तगत आती है जिसका जिम्मा बतौर मंत्री गुलाबराव पाटील संभाल रहे है! मिशन जलजीवन से संबंधित बातो को लेकर फ़्लैश बैक की स्मृतियो को रिवाइज करना जरूरी है। 2014 के देवेंद्र फडणवीस सरकार मे जलशक्ति मंत्री बनाए गए महाजन ने 19 नवंबर 2018 को पाचोरा मे कहा था कि 2019 के विधानसभा चुनावो के पहले राज्य मे नदीजोड प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा इसके लिए वे खुद नितिन गडकरी से 20 हजार करोड़ रुपए मंजूर करवा लेंगे पर महाजन के मंत्रालय बदलने के अलावा आज तक नदी जोड़ को लेकर कोई ठोस काम नही हुआ ! उसी साल अक्टूबर मे जिला परिषद के सीईओ शिवाजी दिवेकर ने भारत निर्माण तहत जामनेर ब्लॉक मे करोड़ो रूपयो से मंजूर डेढ़ दर्जन गांवों (किन्ही श, फत्तेपुर, मूंदखेड़ा, नवीदाभाडि, शहापुर, तोरनाला, वड़गांव, शेंदुर्नी समेत अन्य) की जलापूर्ति योजनाओं में लिप्त भ्रष्टाचार को लेकर ठेकेदारों पर फौजदारी दायर कराने के आदेश दिए थे जो हवा हो गए। आज भी कई गांवों की जलापूर्ति योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर अधर में लटकी हुई हैं ऐसे गांवों में लोगों को ठीक से पीने का जल ही उपलब्ध नहीं है तो वहां का जीवन कैसे समृद्ध होगा। राजनीतिक दलों द्वारा सरकारी खजाने से करोड़ों रूपये खर्च कर चलाई जाती तमाम योजनाओं को विकास के नाम पर जनता के बीच वोट पाने के लिए ठेल दिया जाता है। कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार का एक लोकतांत्रिक इको सिस्टम ऑपरेट किया जाता है।


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