रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल्य झाबुआ जिले में 1 मार्च से 7 मार्च तक चलने वाले आदिवासी संस्कृति के लोकप्रिय भगोरिया उत्सव की धूम की शुरुवात हो चुकी है। मध्प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ व अलीराजपुर जिले में भगोरिया पर्व की धुम मची हुई है।
झाबुआ जिला मुख्यालय के करीब ग्राम भगोर में प्राचीन ऐतिहासिक शिवालय मौजुद है, ग्राम भगोर भृगुश्रषि की तपस्चर्या स्थली रहा है। इस गांव से आदिवासी समाज के पारंपरिक और उन्माद के उतस्व भगोरिया की शुरूआत हुई है।
जानकारों के अुनसार आदिवासी समाज के लोग भव अर्थात शिव और गोरी अर्थात पार्वती के उपासक रहे हैं इसी से भगोरिया शब्द की उत्पत्ती हुई है। बताया जाता है कि भगोर का भारी भरकम पत्थरों से बना प्राचीन मंदिर हवा में कहीं से उड़ कर आया था भगोर के इसी मंदिर में शिव, पार्वती, की पूजा के बाद इस पारंपरिक पर्व भगोरिया की शुरूआत हुआ करती थी। तभी से इस प्राचीन मंदिर में पूजा का सिलसिला लगातार जारी है।
भगोरिया पर्व के लिए प्रसिद्ध झाबुआ में होलिका दहन के पहले लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार वाले दिनों में अलग अलग स्थानों पर भगोरिया मेले की मौज मस्ती भांगुरिय महादेव व गल देवता के लिए मनन्त उपवास के साथ आदिवासी वेशभूषा के साथ फैशनेबल पोशाकों में सस्कृति की अभिव्यक्ति भगोरिया उत्सव में दिखने को मिलती है। इस उत्सव को लेकर जिले के विभिन्न जिलों व शहरों में उत्साह के लिए चहल पहल शुरू हो जाती है, प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्थागत एवं सुरक्षा संबंधी तैयारियां कर पैनी निगाहें जमा कर पुलिस टीमें में मुस्तैद रहती हैं। 7 मार्च तक भगोरिया मेले की धूम रहेगी।
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