नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
जामनेर पाचोरा नैरोगेज रेल लाइन को ब्रॉड गेज बनाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में केवल 50 करोड़ 20 लाख रुपए का प्रावधान किया है। वित्त मंत्रालय द्वारा उक्त प्रोजेक्ट के लिए किए गए मामूली प्रावधान से रेल राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे के अधिकारों और भाजपा के जनता से किए वादों को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। जब दानवे जामनेर पधारे थे तब उन्होंने जामनेर पाचोरा रेल लाइन के निर्माण के लिए 950 करोड़ रुपए के फंड की घोषणा की थी। यही नहीं दानवे ने यह भी कहा था कि उनको एक हजार करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्टस के टेंडर को पास कराने के अधिकार हैं, अगर किसी प्रोजेक्ट की लागत एक हजार करोड़ के ऊपर जाती है तो कैबिनेट में फैसला लेना पड़ता है। संविधान के मुताबिक दानवे राज्य मंत्री हैं उनको नीतिगत फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं है। 950 करोड़ का प्रोजेक्ट पास करने पर बजट में 50 करोड़ आबंटित कर मोदी सरकार ने दानवे के अधिकारों की सीमा को रेखांकित कर दिया है। इस प्रोजेक्ट को फेज 2 की शक़्ल में बोदवड तक बढ़ाने की भी खूब बातें होती रही हैं ! नेताओं के इशारों पर रेल के आला अधिकारी आए दिन मीडिया की मौजूदगी में औचक निरीक्षण करने लगे हैं! इस रेल प्रोजेक्ट से जुड़ी प्री प्लांट खबरों ने अखबारों की सेलिंग और भाजपा की मार्केटिंग बढ़ा दी है। हर साल बजट में 50 करोड़ के प्रावधान के लिहाज से फेज 1 को पूरा होने के लिए 10 साल बीत जाएंगे दौरान कोई नया जुमला लॉन्च हुआ तो कुछ कह नहीं दे सकते ! ये प्रोजेक्ट एक ऐसा रेल प्रोजेक्ट है जिसकी आवश्यकता आज से 20 साल पहले पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन यह कोई धर्म संमेलन नही की किसी नेता को उसके निर्वाचन क्षेत्र से एक लाख वोटो का लीड देने के लिए रफाल की गती से सरकारी तिजोरी से 150 करोड़ रुपया पानी की तरह बहा दिया गया हो ! जलगांव के दोनो सांसदो और सत्तापक्ष के विधायको की जिम्मेदारी बनती है कि वह रेल लाइन निर्माण के इस आंशिक फंड कि किश्त मे बढ़ोतरी की मांग करे ताकि प्रोजेक्ट का फेज 1 कम से कम समय मे पूरा हो सके।
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