तीन मुमुक्षु आत्माओं की निकली जयकार यात्रा, नागरिकों ने किया सम्मान, विराजित साध्वियों के सानिध्य में श्री संघ ने किया बहुमान | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

तीन मुमुक्षु आत्माओं की निकली जयकार यात्रा, नागरिकों ने किया सम्मान, विराजित साध्वियों के सानिध्य में श्री संघ ने किया बहुमान | New India Times

धर्म नगरी थांदला से वीर माता पिता श्रीमती आशुका कमलेश लोढ़ा के बड़े सुपुत्र के रूप में एक और मुमुक्षु आत्मा प्रियांश लोढ़ा अपनी बुआ के लड़के प्रांशुक भाई के संग संयम लेने जा रहे हैं वही रतलाम शहर के वरिष्ठ स्वाध्यायी मुमुक्षु पवन कासवा भी उनके साथ देवास के समीप हाटपिपल्या में आगामी 26 दिसम्बर को संयम अंगीकार करेंगे वही भव्यताजी गाँधी 31 जनवरी को दाहोद में संयम लेंगी। इनमें से तीन मुमुक्षुओं का बहुमान संग जयकार यात्रा का आयोजन स्थानकवासी जैन श्रावक संघ थांदला द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. “अणु” के सुशिष्य प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा – 9 के सानिध्य में स्थानीय पौषध भवन पर मुमुक्षु गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया जिसमें महासती पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब तक जीव के आश्रव के द्वार खुले है तब तक कर्मबन्ध है, इससे बचने का उपाय संयम है लेकिन हमें संयम तो स्वप्न में भी नही दिखता उसका कारण है हमारा भौतिकता की चाकाचौन्ध का एवं विषयों के सेवन की रुचि है।

तीन मुमुक्षु आत्माओं की निकली जयकार यात्रा, नागरिकों ने किया सम्मान, विराजित साध्वियों के सानिध्य में श्री संघ ने किया बहुमान | New India Times

जब तक जीव में मोक्ष की रुचि नही जगती तब तक संयम लेने का मन ही नही होता। थांदला को संयम सीटी की उपमा देते हुए पूज्या श्री ने कहा कि इस भूमि पर उमेशमुनिजी म.सा. ‘अणु” की कृपा बरस रही है जिससे बुद्धपुत्र प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. की प्रेरणा से आज ये भवी आत्मा संयम पथ पर अग्रसर हो रही है। धर्म सभा में सुव्रताजी म.सा. ने कहा कि कर्म से संसार है लेकिन जीव में उसे तोड़ने की शक्ति रही हुई है लेकिन जीव ने कर्म रूपी पुदगल की शक्ति को माना लेकिन आत्मा की शक्ति को नही पहचाना।

जब उसे पुद्गलों में क्षणिक सुख व मोक्ष में शाश्वत सुख का ज्ञान हो जाता है तो वह संयम लेकर गुणस्थानों में उन्नति करते हुए मोक्ष के सुख को प्राप्त कर लेता है।
पूज्या श्री चतुर्गुणाजी म.सा. ने मुमुक्षु आत्माओं को काव्य शैली में 10 मुण्डन की शिक्षा दी।

मुमुक्षुओं ने बताई संयम लेने की वजह

धर्म सभा में मुमुक्षु पवन कासवा ने बताया कि 17 वर्ष पूर्व संयम लेने की भावना थी लेकिन कुछ अंतराय से पूर्ण नही हुई लेकिन अब सभी दायित्व से मुक्त होकर वह पूर्ण होने जा रही है।

प्रियांश लोढ़ा ने कहा दोस्त की अनायास मौत व लॉक डाउन में प्रवर्तक गुरुदेव के सानिध्य ने मेरी जीवन की दिशा बदल दी जिसे मेरे माता-पिता ने सहयोग देकर मुझे संयम मार्ग पर बढ़ने की प्रेरणा दी। मुमुक्षा भव्यता गाँधी ने कहा कि भाई (सुहासमुनिजी) महाराज के साथ गुरु भगवन्तों के सानिध्य व संयमप्रभाजी म.सा. की वात्सल्यमयी मोक्ष मार्ग की प्रेरणा ने मुझे संयम की ओर अग्रसर किया। वीर माता आशुका बहन ने थांदला संघ के सहयोग के लिये आभार मानते हुए भावनात्मक होकर कहा कि प्रियांश ने मुझे पहली बार नारी की पूर्णता माँ कह कर दी वही संयम लेकर मेरी कोख को गर्व प्रदान कर देगा। धर्मदास गण के अध्यक्ष विनीत वागरेचा (दाहोद), स्वाध्यायी संघ अध्यक्ष भरत भंसाली एवं श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने तीनों मुमुक्षुओं के लिए मंगल शुभकामनाएं व्यक्त की। धर्म सभा में संघ द्वारा मुमुक्षुओं का उनके वीर माता-पिता आशुका कमलेश लोढ़ा (प्रियांश), सपना नरेंद्र गाँधी (भव्या) व श्रीमती ललीता (पवन कासवा की धर्मपत्नी) के साथ बहुमान किया गया। संचालन सचिव प्रदीप गादिया ने किया उक्त जानकारी संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने दी।

जयकार यात्रा में शामिल हुआ सकल जैन संघ – जगह जगह हुआ अभिनन्दन

संघ द्वारा आयोजित जयकार यात्रा में सकल जैन संघ के बच्चें बड़े सभी वर्ग के श्रावक – श्राविकाओं ने निर्धारित ड्रेसकोड में हिस्सा लिया व दीक्षार्थी अमर रहे, वैरागी अमर रहे के नारें लगाए। मुमुक्षुओं ने सभी ओर वर्षीदान करते हुए नगरजनों को दोनों हाथ जोड़ अभिवादन किया। श्री नवयुवक मंडल ने सभी मुमुक्षुओं का जगह जगह समाजजनों व नागरिकों द्वारा किये जाने वालें अभिनन्दन को सम्पन्न करवाया। जयकार यात्रा नगर के सभी मुख्यमार्गों से होती हुई स्थानक पर सम्पन्न हुई जहाँ विराजित महासतियों ने क्रमशः 5 मांगलिक श्रवण करवाई। संघ द्वारा आयोजित स्वामीवात्सल्य के साथ जयकार यात्रा का समापन हुआ। जयकार यात्रा की पूर्व संध्या पर बीसीबी ग्रुप याने प्रियांश के दोस्तों ने मिलकर जैन भक्ति संध्या का आयोजन किया जिसमें मुंबई के प्रसिद्ध जैन भजन गायक विक्की डी पारिख ने संयम अनुमोदना के गीतों से सब को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम का मेघनगर, झाबुआ, पेटलावद, खवासा, बामनिया, रतलाम, दाहोद आदि के अनेक साधर्मियों ने लाभ लिया।


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