अबरार अहमद खान, खंडवा (मध्यप्रदेश ), NIT; खण्डवा शहर में अब किसी भी मुस्लिम परिवार में शादी के दौरान बरात में बैंड, डीजे, ढोल आदि बजाये जाने पर शहर के उलेमा-ए- कराम के द्वारा उस बरात का निकाह नहीं पढ़ाया जाएगा।जारी प्रेस रिलीज के अनुसार अबु हनीफ़ा फाउंडेशन खण्डवा के मुस्लिम नवजवान साथियों ने मिलकर ऐसी एक तहरीर शहर के सभी सुन्नी मुस्लिम मस्जिदों के उलेमाओं के पास भेजी थी, जिस पर खण्डवा की लगभग 21 मस्जिदों के जिम्मेदार इमामों ने एकमत होकर अपने हस्ताक्षर कर सहमति दे दी है ।
फाउंडेशन के प्रवक्ता फैज़ान क़ादरी ने बताया कि खण्डवा शहर में लगभग 40 हजार मुस्लिम परिवार रहते हैं जिनमें लगभग 150 निकाह प्रतिवर्ष धार्मिक परम्परा के अनुसार संपन्न कराये जाते हैं ।
मुस्लिम समुदाय के पैग़म्बर (सल. ) का कौल है कि निकाह को आसान करो और ज़िना को मुश्किल। निकाह सादगी से हो जिससे उसमें खुदा की तरफ से भी रहमतें नाज़िल हों, किन्तु कुछ परिवारों द्वारा धार्मिक शिक्षा की कमी के चलते शादियों में फिजूल खर्ची करते हुए बैंड बाजों, डीजे आदि का प्रयोग किया जाता है जो की हराम है। इसकी तफ़्सील धार्मिक किताब बहारे शरीअत हिस्सा 07 एवं फतावा फैज़ुर रसूल जिल्द 02 में भी मिलता है। इससे निकाह की भी बरकतें उठ जाया करती हैं। इसी बात को ध्यान रखते हुए अबू हनीफ़ा फाउंडेशन के सदस्यों ने मिलकर शहर के सुन्नी मस्जिदों के इमामों को इस बात पर राज़ी कर लिया है कि अब ऐसे शादियां जिनमें ढोल, बाजों, डीजे आदि का इस्तेमाल होगा उनका निकाह शहर के कोई भी इमाम नहीं पढ़ाएंगे ।
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