अबरार अहमद खान/मुकीज खान, अलिराजपुर/भोपाल (मप्र), NIT:
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को कक्षा पहली से 8वीं तक दी जाने वाली प्रीमेट्रिक छात्रवृत्ति योजना को बंद करते हुए इसे सिर्फ 9वी और 10वी तक के बच्चों तक ही सीमित कर दिया है, केंद्र सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और अल्पसंख्यक विरोधी है, बता दें कि अल्पसंख्यक समुदाय जिसमे देशभर मे सबसे ज्यादा तादाद मुस्लिमो की है, ऐसे में यह फैसला अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं मुस्लिमो के हितों पर केंद्र सरकार का एक हमला है, जिसे बर्दाश्त नही किया जा सकता, जो योजना साल 2006 में मनमोहन सरकार द्वारा सच्चर कमेटी की सर्वे रिपोर्ट के तहत शुरू की थी, उस योजना को ऐसे बन्द किया जाना ठीक नही है, बता दें कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में मुस्लिमो का शैक्षणिक स्तर एससी/एसटी वर्ग से भी घटिया होना प्रतिवेदित किया गया था, जिसके बाद इस स्तर को सुधार करने के लिहाज से यह योजना केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई थी, जिसे हाल ही में शिक्षा का अधिकार कानून का हवाला देकर सीमित कर दिया गया है। जिसका हम पुरजोर विरोध करते है और सरकार से मांग करते है कि सरकार अपने फैसले को समीक्षा करें और अल्पसंख्यको के हित में पिछले 16 सालों से चली आ रही इस स्कीम को निरंतर जारी रखने के आदेश जारी करें। यह विचार मुस्लिम महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष और इंदौर संभाग के प्रभारी ज़हीर मुगल ने स्थानीय स्तर पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में व्यक्त किये।
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