जिला न्यायालय परिसर झाबुआ में नेशनल लोक अदालत आयोजित | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

जिला न्यायालय परिसर झाबुआ में नेशनल लोक अदालत आयोजित | New India Times

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के आदेशानुसार प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मोहम्मद सैय्यदुल अबरार के मार्गदर्शन एवं जिला न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ श्री लीलाधर सोलंकी के निर्देशन में वर्ष की अंतिम नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।

जिला न्यायालय परिसर झाबुआ में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मोहम्मद सैय्यदुल अबरार लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी एवं विशेष न्यायाधीश श्री महेन्द्र सिंह तोमर, जिला कलेक्टर श्रीमती रजनी सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री अगम जैन एवं मंच पर आसीन न्यायाधीशगणों के द्वारा महात्मा गांधी जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर प्राधिकरण के सचिव/जिला न्यायायाधीश श्री लीलाधर सोलंकी, प्रथम जिला न्यायाधीश श्री संजय चैहान, द्वितीय जिला न्यायाधीश श्री भरत कुमार व्यास, मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट श्री गौतम सिंह मरकाम, न्यायिक मजिस्टेªट श्री विजय पाल सिंह चैहान, श्री रवि तंवर, सुश्री साक्षी मसीह, श्रीमती पूनम सिंह, अधिवक्तागण के अध्यक्ष श्री दीपक भण्डारी, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री सागर अग्रवाल, विभिन्न विभागों के अधिकारीगण, न्यायालयीन कर्मचारीगण, खण्डपीठ सदस्यगण, पैरालीगल वालेंटियर्स, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पक्षकारगण उपस्थित रहें।

शुभारंभ के अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मोहम्मद सैय्यदुल अबरार सहाब ने कहा कि लोक अदालत का सबसे बड़ा गुण निःशुल्क तथा त्वरित न्याय है, यह विवादों के निपटारे का वैकल्पिक माध्यम है इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश का कोई भी नागरिक आर्थिक या किसी अन्य अक्षमता के कारण न्याय पाने से वंचित न रहे जाए।

उन्होंने कहा कि लोक अदालत में कार्यरत सभी अधिकारी पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ अपना कर्तव्य का निर्वहन करें।

यदि वह ऐसा करते है तो निश्चित ही पीड़ितों को सुगम, सस्ता व त्वरित न्याय मिलेगा। कार्यक्रम में विशेष न्यायाधीश श्री महेन्द्र सिंह तोमर द्वारा अपने संबोधन में कहा कि लोक अदालत के माध्यम से राजीनामा के आधार पर निराकृत हुये मामले में दोनों पक्षकार राहत महसूस करते है और उनके आपसी संबंध पुनः कायम हो जाते है दोनों पक्षों की जीत होती है कोई हारता नहीं है।

संबोधन की इस कड़ी में जिला कलेक्टर श्रीमती रजनी सिंह ने कहा कि लोक अदालत पक्षकारों में एकता और भाईचारा बनाए रखने का एक सशक्त माध्यम है लोक अदालत में राजीनामा के आधार पर प्रकरण के समाप्त करने में आपसी कटुता और बुराई समाप्त होती है।

कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक श्री अगम जैन ने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से अपने छोटे-छोटे प्रकरण को आपसी सुलह-समझौते के आधार पर निराकरण करवाने का प्रयास करना चाहिए।

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री दीपक भण्डारी सहाब ने कहा कि अदालतों पर मुकदमों का अधिभार लगातर बढ़ रहा है ऐसे में लोगों को चाहिए की वह अपने छोटे-छोटे मामलों व झगड़ों को आपसी सुलह समझौते के माध्यम से निराकरण कराऐं। ताकि उन्हें अनावश्यक रूप से न्यायालय का चक्कर न लगाना पड़े।

कार्यक्रम का संचालन प्रथम जिला न्यायाधीश श्री भरत कुमार व्यास एवं आभार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव/अपर जिला न्यायाधीश श्री लीलाधर सोलंकी ने माना।

न्यायालय परिसर में दिनभर चली लोक अदालत में विद्युत विभाग, बैंक, नगर पालिका, बी.एस.एन.एल. विभाग हेतु लगे स्टाॅलो पर पक्षकारों की राजीनामा के लिए चर्चा करने के लिए पक्षकारगण उपस्थित रहें।

नेशनल लोक अदालत में परिवार न्यायालय के विभिन्न प्रकरणों में समझौते के आधार पर पक्षकारों के मध्य रहे आपसी विवादों का निराकरण किया गया।

जिसमें से एक प्रकरण में पति और पत्नी के मध्य चल रहे विवाद में श्रीमती संप्रति पति विशाल निवासी मेघनगर जिला झाबुआ द्वारा अपने पति विशाल पिता गिरधारी के विरूद्ध तलाक का प्रकरण परिवार न्यायालय झाबुआ के समक्ष पेश किया तथा निवेदन किया कि उसका विवाह वर्ष 2020 में विशाल के साथ हिन्दु रिति-रिवाज के साथ संपन्न हुआ। किंतु आपसी मनमुटाव होने से वर्ष 2021 में दोनो अलग-अलग रह रहे थे। दिनांक 12 नवम्बर को आयोजित नेशनल लोक अदालत में परिवार न्यायालय झाबुआ के प्रधान न्यायाधीश श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह एवं जिला न्यायाधीश/सचिव श्री लीलाधर सोलंकी सहाब द्वारा दोनो पक्षों को समझाईस देकर एक साथ रहने की समझाईस दी गई। दोनों पक्षों के अधिवक्तागण श्री प्रवीण तिवारी व नरेश जोशी ने भी दोनों पक्षों की सुखद भविष्य की कामना करते हुये राजीनामा में सहयोग प्रदान किया गया। दोनों पक्षो ने आपस में एक दूसरे को पुष्पहार पहनाकर फिर से एक साथ रहने के लिए राजी हुये और भविष्य में कभी फिर अलग न होने के लिए आपस में वादा किया।

इस मौके पर न्यायाधीशगणों के द्वारा न्याय स्वरूप वृक्ष भेंट कर न्यायालय से खुशी-खुशी रवाना किया। वही दूसरे प्रकरण में श्रीमती ललिता द्वारा बीमा कंपनी, वाहन के चालक तथा मालिक के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का प्रकरण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मोहम्म्द सैय्यदुल अबरार के न्यायालय में प्रस्तुत किया तथा निवेदन किया गया कि दिनांक 23 फरवरी-2020 को वाहन बस क्रमांक जीजे 17 यू यू4477 का चालक मुकाम द्वारा बस को तेजी से व लापहरवाही चलाकर मोटर साईकिल पर जा रहे राजू को पीछे से टक्कर मार दी जिससे राजू की मौके पर ही मृत्यु हो गयी।

राजू के परिवार में उसकी पत्नी ललीता पुत्री रीना पुत्र विनोद, अभिनाश तथा पिता अमरसिंह माता शन्नु बाई थी परिवार के एक मात्र कमाने वाले की मृत्यु होने से 42 लाख 50 हजार की क्षतिपूर्ति का प्रकरण पेश किया गया।

दिनांक 12 नवम्बर को आयोजित नेशनल लोक अदालत में बीमा कंपनी तथा आवेदक को समझाईस देकर श्रीमती ललिता को 12 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति दिलाई गई।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मोहम्मद सैय्यदुल अबरार सहाब के निर्देशानुसार इस लोक अदालत के लिए न्यायालय झाबुआ/पेटलावद/थांदला हेतु कुल 15 खण्डपीठों का गठन किया गया था।

15 खण्डपीठों में न्यायालय के कुल प्रकरण 1445 में से कुल 274 प्रकरणों का निराकरण हुआ जिसमें कुल 896 व्यक्ति लाभांवित होकर अवार्ड राशि 19805057/- रूपये प्राप्त हुये एवं प्रीलिटिगेशन में कुल 4777 प्रकरण रखे गये जिसमें कुल 336 प्रकरणों का निराकरण कर कुल 480 व्यक्ति लाभांवित होकर अवार्ड राशि 7413727/- रूपये पारित हुई। इस प्रकार प्रीलिटिगेशन एवं न्यायालय के कुल 610 प्रकरणों का निराकरण हुआ। लोक अदालत के माध्यम से कई पक्षकारों के मध्य आपसी मधुर संबंध स्थापित हुये।

लोक अदालत को लेकर आमजनों में भी खासा उत्साह देखा गया।

सभी विद्वान अधिवक्ता, लोक अदालत के खण्डपीठ के सदस्य, प्राधिकरण के कर्मचारी एवं न्यायालयीन कर्मचारियों का भी सराहनीय सहयोग रहा।


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