यूसुफ खान, ब्यूरो चीफ, धौलपुर (राजस्थान), NIT:
जयपुर सेंट्रल जेल-महिला बंदी सुधार गृह के महिला कैदियों के लिए जानी मानी मोटिवेशनल स्पीकर डॉक्टर साहिल त्रिवेदी की मोटिवेशनल वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस मोटिवेशनल स्पीच के आयोजन के पीछे मकसद था महिला कैदियों में एक सकारात्मक सोच भरना, जिससे वह आने वाली जीवन में अपराध बोध होकर ना जिएं बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ आने वाली चुनौतियों का सामना करते हुए समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। डॉक्टर साहिल त्रिवेदी ने महिला कैदियों से बातचीत करते हुए उन्हें बताया कि ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जिससे जीवन में गलती ना हो, लेकिन गलती के बाद सुधार ना करना बड़ी भूल है इसलिए अपनी गलतियों को स्वीकार करें और खुले मन से उस पर विचार करते हुए जीवन में आगे बढ़ें. यदि आप अपनी गलती को स्वीकार कर लेते हैं तो स्वयं आपको एहसास हो जाएगा, जो आपने किया वह क्षण भर का गुस्सा या गलती थी. डॉक्टर साहिल त्रिवेदी ने आगे कहा कि मनुष्य जीवन इस बात का प्रतीक है कि आप दूसरों के काम आएं, यह दुनिया बहुत सुंदर है इसे और भी सुंदर बनाने के लिए हमें भेजा गया है, हमारा कर्तव्य है हम दूसरों को शांति और सहयोग दें. बहुत सारे ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने बहुत कम समय में अपने हुनर को पहचान कर उसी कामयाबी का डंका पूरी दुनिया में बजवाया है इसलिए कभी भी देर नहीं होती, बस जब जागो तब सवेरा वाली कहावत चरितार्थ होती है. एक नदी में हजारों साल से पानी बह रहा है लेकिन आप उसको बाँध बना देंगे तो पानी रुक जाएगा, इसलिए वापस लौटने की राह कभी बंद नहीं होती, बशर्ते आप समाज की मुख्यधारा में जुड़ना चाहें. नारी को जननी कहा गया है क्योंकि नारी के पास ही वह शक्ति है जिससे उसका पूजन होता है इसलिए महिला बंदियों को यह बात समझनी होगी की महिलाओं का स्थान परिवार में है लेकिन दुर्भाग्यवश वह किसी परिस्थिति के चलते आज यहां हैं तो निराश होने की जरूरत नहीं है जीवन में आशा रखें और उजालों की तरफ बढ़े। डॉक्टर साहिल त्रिवेदी ने अपनी मोटिवेशनल स्पीच के दौरान महिला बंदियों के पूछे गए सवालों के जवाब दिए. इस मौके पर ज़िला जेल जयपुर के आला अधिकारी और अधीक्षक शिवेंद्र शर्मा, कारापाल सोनी रोहनलानिया, करपाली कमला चौहान भी मौजूद रहे। सभी ने डॉक्टर साहिल त्रिवेदी के मोटिवेशनल सेशन की जमकर तारीफ की। महिला जेल अधीक्षक के प्रयासों से ही यह मोटिवेशनल स्पीच कार्यक्रम संभव हो पाया।
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