गुलाम-बेगम-बादशाह: दिन में कब्रिस्तान के पीछे, रात में मकान के अंदर | New India Times

गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकर नगर (यूपी), NIT:

गुलाम-बेगम-बादशाह: दिन में कब्रिस्तान के पीछे, रात में मकान के अंदर | New India Times
फाइल फोटो

जुए के अड्डे चलाने वाले मालामाल हो रहे हैं, और जुए खेलने वाले कंगाल, चाहे दिन हो या रात हर समय 52 पत्ती का खेल भरपूर चलता रहता है। जुए में हारने के बाद जुआरी का सरदार ब्याज पर पैसा देने के लिए भी तैयार रहता है और किसी भी तरह जुआ खेलने वाले का मनोबल टूटने नहीं देता। क्योंकि जुआरियों ने शहर और गृहस्थी को बर्बाद करने का पूरा जिम्मा ले रखा है।

अकबरपुर शहर के जुड़वा कस्बा शहजादपुर जुआ अड्डे का केन्द्र बना हुआ है. शाहजहांपुर इलाका जुए के अड्डे को चलाने वाला सरदार खाकी वर्दी को मुट्ठी पर लेकर काम कर रहा है। यहां दिन में कब्रिस्तान के पीछे और रात में बनी हुई 3 मंजिला इमारत के अंदर जुए का अड्डा खूब धड़ल्ले से संचालित हो रहा है।
जुए के शौकीन दूसरे जनपद से भी आकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। हर नाल पर जुए के सरदार का कमीशन तय रहता है. जुआ अड्डों में जुआरियों की ओर से खेल में बड़े पैमाने पर दांव लगाये जाते हैं। इससे युवकों के साथ ही नौनिहालों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। नगर क्षेत्रों के बगीचों, खेतों व कुछ निजी घरों में बड़े पैमाने पर जुए का फड़ सजता है। दबंगों की शह पर जुआरियों की ओर से सुबह से शाम व पूरी रात तक बेखौफ अंदाज में जुआ खेला जा रहा है। जहां पर जुआरियों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं की जाती है। इसमें छोटे जुए की फड़ अलग व बड़े जुएं की फड़ अलग-अलग लगाई जाती है। जिसमें हर दिन लाखों का वारा न्यारा होता है। इसमें शामिल जुआ खिलाने वालों को कई चाल जीतने वाले जुआरी तयशुदा रकम देते हैं। जुए के अड्डे को लोगों की नजरों से बचाने के लिए जुआ खिलाने वाले दबंगों ने अपने विश्वस्त आदमियों को अड्डे के आसपास रखवाली को लगाते हैं। उनको भी बंधी रकम दी जाती है। वहीं स्थानीय युवकों व नाबालिकों को भी बेहतर पैसा कमाने का लालच देकर इस अवैध खेल में शामिल कर उनका भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। पुलिस की छापेमारी में कभी-कभी छोटे जुआरी हाथ लग जाते हैं और बड़े जुआरियों पर कार्यवाही नहीं हो पाती। इससे पहले अकबरपुर सदर एसडीएम द्वारा कई जगहों पर छापेमारी की गई थी जिसमें जुआरियों को पकड़ा भी गया था उसके बावजूद जुआरी अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading