शानों शौक़त से मनाया गया उर्से हबीबी व बशीरी, मेहमान क़व्वालों ने बाँधा समाँ, देर रात तक चला कार्यक्रम | New India Times

इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:

शानों शौक़त से मनाया गया उर्से हबीबी व बशीरी, मेहमान क़व्वालों ने बाँधा समाँ, देर रात तक चला कार्यक्रम | New India Times

अबुल उलाई सिलसिले से ताल्लुक रखने वाले  सूफी मौलाना हबीब अहमद फरीदपुरी साहब के उर्स की दो दिवसीय महफ़िल का आयोजन दमोह के चमन चौक के पास ख़ानक़ाहे बशीरी सिराजिया ख़ानक़ाह परिसर में किया गया है जिसकी सरपरस्ती सूफी हज़रत सैयद फैजानुलहक़ साहब फरमा रहे हैं। यह आयोजन बीते कई सालों से दमोह के चमन चौक के पास ख़ानक़ाह बशीरुल औलिया में  मनाया जा रहा है। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी उर्से मौलाना सूफी हबीबी व बशीरी मनाया गया। आज से लगभग 50 साल पहले हजऱत बशीरुल औलिया साहब ने अपने पीरो मुर्शिद की याद में उर्स की  महफ़िल की शुरुआत की थी तब से आज तक ये  सिलसिला कायम है और बड़ी शानों शौक़त के साथ मनाया जाता है। गौरतलब है कि इससे पहले यहाँ के उर्स की महफ़िल की सारी रस्में पीरे तरीक़त सूफी हज़रत सिराजुलहक़ साहब की सरपरस्ती में हुआ करती थी जिनके पर्दा करने के बाद इस ख़ानक़ाह में होने वाले प्रोग्रामों की रहनुमाई सूफी हज़रत सैयद फैजानुलहक़ साहब कर रहे हैं। महफ़िल की शुरुआत मीलाद शरीफ से हुई जहाँ हाफिजों व शायरों ने शिरकत की और तक़रीर प्रोग्राम व नात की महफ़िल सजी जिंसमें मौलाना तहसीन रज़ा साहब , ताज मस्जिद के पेश इमाम, मण्डी मस्जिद पेश इमाम शायर ताबिश नैयर ने कलाम पढ़े। महफ़िल का दूसरा दौर क़व्वाली का रहा जिंसमें मेहमान क़व्वाल अल्ला नूर साहब ने सूफियाना कलाम पढ़े जिस पर अक़ीदतमंद लोग झूम उठे। यहाँ हर साल होने वाले इस आयोजन में दमोह के अलावा अन्य शहरों से भी मुरीद अपने पीर का उर्स मनाने दमोह आते है। उर्स के दूसरे दिन हज़रत का जोड़ा निकला और ख़ानक़ाह पहुँचा शाम 7 बजे फ़ातिहा हुई और आम लंगर का आयोजन हुआ इस अवसर पर दमोह नगर के सभी वार्डों के अकीदतमंद लोगों की उपस्थिति रही। 


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading