पंकज शर्मा, ब्यूरो चीफ, धार (मप्र), NIT:
रेल लाओ महासमिति के पूर्व संयोजक एवं प्रवक्ता ने बताया कि 2008 से अब तक पंद्रह साल में 50 प्रतिशत राशि खर्च हो गई है और इंदौर-तिरला एवं दाहोद-कटवाडा के बीच लगभग 40 प्रतिशत कार्य हो चुका है। कार्य की धीमी गति को देखते हुए दो साल पहले सांसद छत्तर सिंह दरबार से मांग की गई थी कि सबसे पहले धार को इंदौर से जल्दी से जल्दी जोड़ रेल आवागमन चालू कर दिया जाए ताकि धार को आर्थिक और शैक्षणिक लाभ मिल सके जिसे रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत कर पिछले दो सालों में कार्य शुरू कर सारा बजट लगा दिया। डॉ नाहर ने बताया कि इस वर्ष 2021 के भी बजट में दोनों परियोजनाओं को मिलाकर कुल 80 करोड़ रुपया मंजूर हुआ लेकिन सुरंग में पानी भर जाने के कारण केंद्रीय रेलवे बोर्ड ने कार्य अस्थाई रूप से रोक दिया था जिसे गत 16 दिसंबर को बोर्ड के डायरेक्टर मोहित कुमार ने पुनः चालू करने के आदेश दे दिए।
डॉ दीपक नाहर ने बताया कि इन पंद्रह सालों में राउ से तिरला तक रेल जमीन का पूर्ण अधिग्रहण कर किसानों को मुवावजा बांट दिया गया है। जबकि उटावद तक की जमीन रेल मंत्रालय ने पत्थर गाड़ कर कब्जे में लेकर किसानों को सिर्फ उस जगह अगली फसल नहीं बोने का आदेश दिया है।
डॉ दीपक नाहर ने बताया कि तंक अर्थ वर्क पूर्ण कर लिया है जबकि बीच पडने वाली नदियों पर 16 छोटे बड़े पुल पुलिया बनाने के टेंडर फाइनल कर लिए हैं।
डॉ नाहर ने बताया कि इंदौर से टीहि तक कुल 22 किलोमीटर ट्रैक पर पिछले 7 साल से रेल आवागमन चालू है और टीही रेलवे प्लेटफॉर्म बन गया है जबकि इससे आगे के चार किलोमीटर ट्रेक में कुल 3 किलोमीटर की सुरंग का 70 प्रतिशत खुदाई कार्य और 25 प्रतिशत आंतरिक कांक्रीटीकरण पूर्ण हो गया है जबकि शेष एक किलोमीटर क्षेत्र में जल्द पीथमपुर रेलवे प्लेटफॉर्म बनने वाला है जिसकी लंबाई लगभग 750 मीटर होगी।
डॉ नाहर ने आशा व्यक्त की है कि आगामी दो वर्षों में केंद्रीय रेलवे बोर्ड द्वारा गुणवाद धार तिरला का प्लेटफॉर्म और पटरी बिछाने का कार्य और धार तक के ओवर ब्रिज और अंडर पास का निर्माण पूर्ण हो जाएगा और धार इंदौर रेल मार्ग द्वारा एक हो जाएंगे।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.