पुलिस प्रताड़ना का शिकार फौजी इंसाफ के लिए भटकने पर मजबूर | New India Times

गुलज़ार अहमद, मैनपुरी ( यूपी ), NIT; ​
पुलिस प्रताड़ना का शिकार फौजी इंसाफ के लिए भटकने पर मजबूर | New India Timesदेश की सीमाओं पर तैनात फौजियों की हमारे ही देश में क्या हालत है, उन्हें किस तरीके से हमारे प्रशासन के सिस्टम का शिकार होना पड़ता है, उससे लड़ना पड़ता है और न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ता है,  यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है और पूरे देश के लिए बहुत ही शर्मिंदगी की बात है कि जो देश की रक्षा की खातिर एक बार भी अपनी जान देने से नहीं हिचकता, वह जब देश की सीमा से छुट्टी लेकर अपने घर वालों के पास कुछ समय बिताने के लिए अपने घर आता है तो उसे इस पूरे सिस्टम का शिकार होना पड़ता है और न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला मैनपुरी जिला के फौजी के साथ पेश आया जहां पुलिस ने फौजी को प्रताड़ित करने के बाद उल्टा उउसके ही खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोपी बना दिया।​
पुलिस प्रताड़ना का शिकार फौजी इंसाफ के लिए भटकने पर मजबूर | New India Timesपूरा मामला जनपद मैनपुरी के बेवर थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। जनपद मैनपुरी के भोगांव थाना क्षेत्र के ग्राम नगला दीपा में रहने वाले जगवीर सिंह का पुत्र 5 अप्रैल 2013 में फ़ौज की ARTY दस्ते की 339 मीडियम रेजीमेण्ट में भर्ती हुआ था और इस समय जम्मू-कश्मीर में तैनात है वह फ़ौज से अपने घर 3 जून को 1 महिने की छुट्टी लेकर अपने घर वालों के पास आया हुआ था। 26 जून को वह अपने घर और परिवार वालों के साथ बेवर में नेजा चढ़ाने के लिए गया था। नेजा चढ़ाकर जब वह वापस लौट रहा था तभी बेवर चौराहे पर पुलिस वाले वाहन चेकिंग कर रहे थे। आरोप है कि वाहन चेकिंग करते समय वहाँ पर मौजूद सिपाही मुकेश भारती और एक अन्य सिपाही ने शशि कुमार की बाइक को रोका जिस पर उसने अपनी बाइक रोक दी। बाइक रोकने के बाबजूद भी सिपाही मुकेश भारती ने फौजी शशि कुमार के बाएं हाँथ में डण्डा मार दिया, तभी फ़ौजी ने अपना परिचय पत्र दिखाया इसके बावजूद उस सिपाही ने उसका परिचय पत्र फेंक दिया और उससे गालीगलौज की और फिर एक डण्डा मारा जिससे उसके हाथ से खून निकलने लगा। इसके बाद मौके पर मौजूद लोगों ने उसको अस्पताल में ले जाकर उसकी पट्टी कराई। ​
पुलिस प्रताड़ना का शिकार फौजी इंसाफ के लिए भटकने पर मजबूर | New India Timesइसके बाद जब पीड़ित फ़ौजी अपने परिजनों के साथ उस सिपाही के ख़िलाफ़ एफआईआर कराने बेवर थाने पहुँचा तो उसकी एक नहीं सुनी गयी बल्कि उल्टा बेवर पुलिस उससे राजीनामे की बात कहती रही और देर रात तक थाने में बिठाए रखा। थक कर वह वापस अपने घर आ गया, लेकिन हद तो तब हो गयी जब पुलिस की प्रताड़ना के शिकार फ़ौजी के खिलाफ ही बेवर थाने में एफआईआर दर्ज हो गयी। जिसके बाद अब फ़ौजी न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है और अपने लिए पुलिस से न्याय मांग रहा है। 


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