मंदसौर के कलेक्टर और एसपी के निलंबन को लेकर शिवराज सरकार सवालों के घेरे में | New India Times

संदीप शुक्ला, भोपाल, NIT; ​
मंदसौर के कलेक्टर और एसपी के निलंबन को लेकर शिवराज सरकार सवालों के घेरे में | New India Timesमप्र के मंदसौर में किसान आंदोलन के हुई पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत के पूरे घटनाक्रम की जांच के लिये मप्र सरकार एक जांच आयोग बनाई है और जांच की जिम्मेदारी एक रिटायर्ड जज को दी है। आयोग की जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है फिर भी सरकार ने मंदसौर के कलेक्टर और एसपी को निलंबित कर दिया है। इस निलंबन की कार्यवाही से एक बार फिर शिवराज सरकार सवालों के घेरे में आ गई है।

पिछले दिनों मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों के उग्र होने और पुलिस की फायरिंग से 6 किसानों की मौत होने के बाद पहले तो यह विवाद चला कि किसानों की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है बल्कि असामाजिक तत्वों के द्वारा चलाई गई गोलियों से हुई है। यह विवाद पूरे दिन चलता रहा और शाम होते ही गृहमंत्री ने बड़ी ही सहजता से यह स्वीकार करते हुए माना कि मंदसौर में उग्र किसानों पर गोली चालन पुलिस के द्वारा किया गया और पुलिस की गोली चालन से ही किसानों की मौत हुई है। अब घटना के दस दिन बाद सरकार ने मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर और एसपी को निलंबित कर यह स्वीकार कर लिया है कि मंदसौर में जिला प्रशासन की गलती के कारण 6 किसानों की मौत हुई थी और यह प्रशासनिक चूक थी  अब सरकार की इस तरह की स्वीकृति के बाद भी सवाल यह उठता है कि क्या इस घटना को लेकर बनाये गये जांच आयोग का कोई औचित्य रह गया है। इस मुद्दे को लेकर राज्य के आईएएस अधिकारियों और कानून के जानकारों में एक बहस सी छिड़ी हुई है, वहीं कानून के जानकारों का कहना है कि सरकार ने जब मंदसौर जिले के तत्कालीन कलेक्टर और एसपी को निलंबित करके यह स्वीकार कर लिया है कि वहां गोली चालन हुआ और उस गलती के पीछे यह अधिकारी जिम्मेदार हैं, तो अब इस घटना की जांच के लिये बनाये गये आयोग का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। वहीं प्रदेश के कुछ आईएसस अधिकारी मंदसौर जिले के तत्कालीन कलेक्टर और एसपी को घटना के दस दिन बाद निलंबित करने की सरकार की कार्यवाही को गलत मानकर चल रहे हैं। इन अधिकारियों का कहना है कि यदि सरकार को इस तरह की कोई कार्यवाही करनी थी तो घटना के तुरंत बाद की जा सकती थी, मगर दस दिन बाद इस तरह की कार्यवाही किये जाने का कोई औचित्य नहीं है, इसके साथ ही इन अधिकारियों का तर्क है कि केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में बदले गए नियमों के अनुसार किसी भी आईएएस या आईपीएस अधिकारी के निलम्बन की सूचना 24 घंटे के अंदर केन्द्र सरकार को देनी चाहिए,  हालांकि वह यह तर्क भी देते नजर आते हैं कि पता नहीं सरकार ने नये नियमों के अनुसार इसका पालन किया कि नहीं लेकिन वह अपने आईएसस अधिकारी और आईपीएस अधिकारियों पर सरकार द्वारा किये गये निलंबन की कार्यवाही पर सवाल खड़े करते नजर आ रहे हैं। खैर, यह मामला कानूनी है और इस पर निर्णय सरकार और अधिकारियों को लेना है।  कानून के जानकारों के अनुसार यह चर्चा जरूर जोरों पर है कि जब सरकार ने तत्कालीन कलेक्टर और एसपी के निलंबन का आधार सरकार को मंदसौर में हुए गोली चालन की गलत जानकारी देना माना और इसी मुद्दे को लेकर उन पर निलंबन की कार्यवाही की है तो इस कार्यवाही से यह साफ हो जाता है कि सरकार ने यह स्वीकार कर लिया है कि मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर गोली चालन तत्कालीन जिला प्रशासन की गलती का खामियाजा है तो अब इस घटना की जांच के लिये बनाये गये जांच आयोग के रिपोर्ट का क्या होगा? क्या सरकार जांच आयोग के रिपोर्ट पर कोई कारवाई करेगी?  


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