शिवसेना इंदौर संभाग प्रमुख ने सोशल मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन के नाम लिखा खुला पत्र, सत्ताधारी नेताओं के इशारे पर कार्य कर रहा है प्रशासन, विपक्षी दलों की उपेक्षा का भी आरोप | New India Times

मेहलक़ा इकबाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

शिवसेना इंदौर संभाग प्रमुख ने सोशल मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन के नाम लिखा खुला पत्र, सत्ताधारी नेताओं के इशारे पर कार्य कर रहा है प्रशासन, विपक्षी दलों की उपेक्षा का भी आरोप | New India Times

शिवसेना के इंदौर संभाग के प्रमुख पंडित आशीष शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन के नाम एक खुला खत पोस्ट किया है. उन्होंने बताया है कि कोरोना महामारी के विकट संकटकाल में वर्तमान परिस्थिति में प्रशासन द्वारा जन सुनवाई शिविर संभव प्रतीत नहीं होता जहां आम जनता अपनी शिकायत, सुझाव, विचार, मांग, वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा सके। जिस तरह आप जनता के विचार सुझाव सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशासन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं उसी तरह जिला प्रशासन को भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करना चाहिए अर्थात वाट्सअप जन सुनवाई के लिए मोबाइल नंबर जारी करें और शिकायत सुझाव विचार आमंत्रित करें और प्रतिउत्तर भी दें ताकि जनता को पता चले कि प्रशासन जनता के प्रश्न के प्रतिउत्तर में क्या कार्यवाही कर रहा है. बुरहानपुर जिले के अलावा अन्य जिले के कलेक्टर टि्वटर, वाट्सअप, फेसबुक पर आम नागरिकों के साथ जुड़े दिखाई देते हैं जो जनता की परेशानी दूर करने के लिए सुझाव लेते हैं और समस्याओं का समाधान करते हैं। केवल मेरी आवाज सुनो का भोंपू नहीं बजाते, जनमानस की आवाज़ भी सुनते हैं।
क्राइसिस कमेटी (आपदा प्रबंधन) की बैठक में मुख्यमंत्री की अपील के पश्चात भी जिला प्रशासन सभी राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक और सेवाभावी संगठन के प्रमुख जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित करना उचित नहीं समझता, जिसके गंभीर परिणाम देखने, भुगतने को बुरहानपुर जिला मजबूर है। आम मध्यम वर्गीय सामान्य परिवार भुखमरी की कगार पर खड़ा है जिन्हें देखने, सुनने, समझने वाला कोई नहीं है। लॉक डाउन का पालन प्रशासन की अव्यवहारिक नीति के कारण गंभीरता से नहीं हो सका।
होम डिलीवरी के नाम पर रेवड़ी की तरह पास बांटे लेकिन इनकी कोरोना की जांच तो दूर प्राथमिक जांच थर्मल इस्क्रेनिंग तक नहीं की गई। जिसने भी घर पहुंच सेवा दी वह भी शंकास्पद है।
सतत कार्यरत शासकीय, अर्धशासकीय कर्मचारियों की थर्मल स्क्रीनिंग जांच नितांत आवश्यक है, क्योंकि ये सभी अपनी सेवाएं संपूर्ण शहर में दे रहे हैं। इन सभी की कीमती जान की सुरक्षा हमारा दायित्व है. प्रशासनिक अमले की कमी और जिम्मेदार पदाधिकारी का अकर्मण्यता पूर्ण व्यवहार खतरे की घंटी है। केवल सत्ताधारी नेताओं के सुझाव और इशारे पर अमल करने से कोरोना महामारी से निजात मिल ही जायेगी, ऐसी सोच जिला प्रशासन की कितनी सही है यह कड़वा सच समय ही बतायेगा।
कहने सुनने समझने को बहुत कुछ है।


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