राकेश यादव, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
कुछ कर गुजरने का जज्बा हो गर तो हर मुश्किल काम आसान हो सकता है। कहा जाता है कि एक शिक्षक की भूमिका उस माता पिता के समान होती है जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और परवरिश देकर उसे उन्नति की ओर ले जाता है, उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका एक शिक्षक की भी होती है। माता पिता के बाद एक शिक्षक ही है जो इंसान को अपने गुणों से और ज्ञान से तराश कर उसे हीरा बना देता है। हम ऐसे ही एक महिला शिक्षक की बात कर रहे हैं जिन्होंने लॉकडाउन में समय का सदुपयोग करते हुए ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए शासन की गाइडलाइन अनुसार अपने शाला के बच्चों को मोबाइल व्हाट्सएप के माध्यम से क्लास के कोर्स पूर्ण कराए और शिक्षा का पाठ पढ़ाया एवं इसी बीच अपना बहुमूल्य कीमती समय बचा कर धार्मिक क्षेत्र में भी रुचि दिखाई और इसी दौरान उन्होंने गणेश प्रतिमाएं बनाने की ठानी और अपना कीमती समय निकाल कर छोटी-छोटी गणेश प्रतिमा बनाकर अपनी कला और हुनर को प्रदर्शित किया। देवरी के शासकीय कन्या माध्यमिक शाला में पदस्थ शिक्षिका अनुराधा कौशिक ने काली मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाकर समाज को जहां एक ओर प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां खरीदने से या बनाने से मानव जीवन में पर्यावरण को कितना हानिकारक है इससे लोगों को जागरूक करते हुए एवं इसका विरोध करने के साथ-साथ लोगों में जागरूकता का संदेश देते हुए वातावरण को प्रदूषित होने से कैसे बचाया जाए इसके लिए उनके द्वारा मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं निर्मित कर हमारे वातावरण को कैसे संरक्षित एवं शुद्ध रखा जाता है इसका भी संदेश लोगों को दिया गया साथ ही छोटे-छोटे बच्चों को भी इस कला का कैसे उपयोग करना है इसका भी हुनर उनके द्वारा सिखाया गया। उनके द्वारा उठाए गए ये कदम नगर में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
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