कोरोना और लॉकडाउन के बाद आयेगी डिजिटल क्रांति: अहमद सुहेल | New India Times

Edited by Sabir Khan, NIT:

लेखक: अहमद सुहेल।

कोरोना और लॉकडाउन के बाद आयेगी डिजिटल क्रांति: अहमद सुहेल | New India Times

इन दिनों कोविड-19 यानि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। साल 1918 और 1920 के बीच इन्फ्लूएंजा नामक फ्लू ने दुनिया की लगभग एक तिहाही आबादी को अपनी चपेट में ले लिया था जिसमें करीब 2 से 5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। तकरीबन 100 साल के बाद आज फिर एक बार पूरी दुनिया कोविड-19 जैसी खतरनाक वैश्विक महामारी से जूझ रहा है जिसके चलते सभी देशों ने लॉकडाउन लागू कर रखा है। नौजवान पीढ़ी स्वतंत्रता आंदोलन, नेशनल इमरजेंसी और माहमारीयों से देश में आये संकट के बारे में केवल किताबों में पढ़ते थे लेकिन आज हम इस वैश्विक महामारी से लड़ रहे हैं। 21वीं सदी की पीढ़ी के लिए यह एक बेहद अनोखा और नया अनुभव है। लॉकडाउन का सबसे ज़्यादा असर कारोबार पर पड़ा है। राशन की दुकानें, मेडिकल स्टोर और पेट्रोल पम्प को छोड़ लगभग सभी कारोबार बंद हैं, ऐसे में दुनिया भर में 95℅ से ज़्यादा लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इस वैश्विक महामारी का अब तक कोई स्थाई उपाय नहीं निकला है। सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी को ही अब तक कोरोना का बचाव और इलाज माना गया है।

सामाजिक दूरी का यह चलन अगले 1 से 2 वर्षों तक रहेगा ऐसे में सभी तरह के कारोबार के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था को संचालित करना एक चुनौती होगी। लेकिन राहत देने वाली बात यह कि आज दुनिया भर में 4G नेटवर्क के साथ इंटरनेट मौजूद है और कहीं कहीं 5G नेटवर्क की बातें भी सुनने में आने लगी है। कोरोना, लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के कारण अगले कुछ समय मे ऑनलाइन ट्रेडिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन एजुकेशन, ऑनलाइन बैंकिंग, क्रिप्टो करेंसी, डिजिटल मार्केटिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग आदि का चलन बढ़ेगा। कुल मिलाकर पूरी दुनिया में डिजिटल क्रांति का बिगुल बजेगा। पारंपरिक तरीके से बिजनेस करने वाले लोगो को भी समय के साथ बदलना होगा जैसे, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए विभिन पोर्टलों जैसे phoneपे, गूगल-पे, पेटीएम आदि से जुड़ना होगा अन्यथा डिजिटल क्रांति के युग मे उनका व्यापार निश्चित तौर पर प्रभावित होगा।

ग्रासरी, किचन अप्लिकेन्ट्स, डेली नीड्स, रेडीमेड गारमेंट्स, स्पोर्ट, बुक्स एंड स्टेशनरी, होम डेकोर, पर्सनल केयर आदि से जुड़े कारोबारियों को अपने आउटलेटस के साथ-साथ ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स से भी जुड़ना होगा या यूं कहें कि कोरोना के साथ हमे जीना सीखना होगा। क्योंकि कोविड-19 का भय इतनी आसानी से नही खत्म होगा। कोरोना और लॉकडाउन के बीच परवान चढ़ने वाली डिजिटल क्रांति में सबसे पहले स्कूल और कॉलेजों ने क़दम रखा है कई स्कूलों ने लॉकडाउन के पीरियड में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की हैं। एक अख़बार में छपी खबर के मुताबिक़ इग्नू के कुलपति प्रो० नागेश्वर राव ने कहा कि हमारे शिक्षकों और अन्य स्टाफ ने बेहद प्रभावी तकनीक का उपयोग करके शिक्षार्थियों तक पहुंचने के लिए लॉकडाउन के इस अवसर का उपयोग किया है। फेसबुक लाइव समेत विभिन्न ऑनलाइन माध्यम को अपना कर सैकडों छात्रों के साथ ही 10 लाख दर्शकों तक पहुंचे हैं। एक महीने के इस कार्यकाल में लगातार छात्रों को ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था से जोड़े रखा है। छात्रों को रेडियो के माधयम से भी कक्षाओं से जोड़े रखा। 

हमारे यहां यह कहावत काफी प्रचलित है कि ‘प्रत्येक चुनौती अपने साथ कुछ नए अवसर भी लाती है’ जरूरत है कोरोना और लॉकडाउन जैसी चुनौती के कारण पैदा हुए अवसर को पहचानने और उनका लाभ उठाने की। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बहुत से स्कूल, कॉलेज, विश्विद्यालय, कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट, कोचिंग इंस्टीट्यूट, आईटीआई ट्रेनिंग सेंटर्स और भी बहुत से शैक्षिक संस्थान ऑनलाइन कक्षाएं चलाने का प्लान कर रहे हैं सभी शिक्षण संस्थान इस बात की योजना बना रहे हैं कि शिक्षण और परीक्षण का कौन सा भाग ऑनलाइन संचालित किया जा सकता है और कौन सा नही। छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में कोरोना वायरस बाधक न बने इसका भरसक प्रयास किया जा रहा है। डिजिटल क्रांति से जहां एक तरफ आप इस खतरनाक बीमारी ने बचेंगे वही दूरी तरफ ट्रांसपोटेशन में लगने वाले समय और धन की भी बचत करेंगे। तो तैयार हो जाइए डिजिटल क्रांति की दुनिया से क़दम ताल करने के लिए।

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