पहले छींक व खांसी एक अच्छा संकेत माना जाता था और आज यही आफत के संकेत बने हुये हैं | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:

पहले छींक व खांसी एक अच्छा संकेत माना जाता था और आज यही आफत के संकेत बने हुये हैं | New India Times

पहले सामाजिक सिस्टम में घरों की पोल में रहने वाले घर के बुजुर्ग (मुखिया) कभी खांसते थे तो उनकी अलग अलग तरह की खांसी की आवाज के अलग अलग अर्थ हुआ करते थे। घर का बडा बूजुर्ग जेठ-ससूर व उनके समान रिशते वाला घर में प्रवेश करता था तो घर की महिलाओं के सावधान होने के लिये अलग तरह की खांसी का रिवाज हुवा करता था। इसी तरह घर में से मुखिया जब अलग तरह से खांसता तो मानो उनके पास कोई आया है। लेकिन कोविड-19 की महामारी ने खांसी का अर्थ ही बदल डाला है। अब खांसने वाले से सभी दूरी बनाकर रखने के अलावा उसको हर हाल में चिकित्सक के पास भेजकर कोराना की जांच कराने को बाध्य किया जाने लगा है। इसी तरह पहले छींक आने को शुभ संकेत मानते हुये कहा जाता था कि कोई अपना पराया याद कर रह रहा है लेकिन आज कोराना ने छींक को आफत होना या आना मानने पर मजबूर कर दिया है।
खासतौर पर राजस्थान में कायमखानी व राजपूत बिरादरी में पर्दा प्रथा का अधिक प्रचलन होता था। इसलिए उनमें पोल का चलन एक तरह से अवश्य होता था। जहाँ पर परिवार के बुजुर्ग (मुखिया) बैठे रहते थे। किसी भी मेहमान के अंदर जाने से पहले उक्त बूजुर्ग लोगों की इजाजत लेना जरुरी था। पहले घंटी या फोन का चलन तो था नहीं। केवल बूजुर्ग लोगों की अलग अलग तरह की खांसी की आवाज से ही पता चलता था कि वो किसी को घर से बुला रहे हैं या वो स्वयं चलकर आ रहे हैं।
कायमखानी व राजपूत की तरह ही गावं के चौधरी की पोल में हुक्का-चिलम के साथ मजमा लगा करता था। राहगीर ऊंट सवार लोग अपने सफर में वहीं पर रात वासा लिया करते थे। जहां ऊट के लिये फूस-चारा-पानी के इंतजाम होने के साथ साथ ऊंट सवार को भोजन मिलता था। इस तरह का इंतजाम अक्सर गावं के चौधरी (जाट) की पोल में मिलता था। चौधरी की खांसी व कहखारे करने की स्टाईल से उनके घर वाले समझ जाते थे कि चौधरी क्या कह रहे हैं।
कुल मिलाकर यह है कि पहले खांसी व छींक शुभ संकेत के तौर पर माने व समझे जाते थे। आज कोराना-वायरस के कारण खांसी व छींक एक आफत का संकेत माना जाने लगा है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading