रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ जिले के मेघनगर में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन ग्रामीण अंचल में सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। कहीं स्टाफ की कमी है तो कहीं संसाधनों की कमी, जिसके चलते लोगों को परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी स्टाफ की कमी से है। स्वीकृत पदों के मान से डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ की कमी बनी हुई है। मेघनगर के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सैकड़ों गांवों के लोग निर्भर हैं लेकिन उन्हें सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं मिल रहा है, यह हालत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की है। बीएमओ को तमाम प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी देखना होती हैं। अंचल वासियों ने कई बार वरिष्ठों को मामले से अवगत करवाया लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। वैसे तो अफसर भी स्वीकारते हैं कि स्टाफ की कमी दूर हो जाये तो बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं।
वैसे तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 6 डॉक्टर होना चाहिए मगर केवल एक डॉक्टर के भरोसे व्यवस्था चलाई जा रही है। मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं भी उन्हें नहीं मिल पा रही हैं। कमीशन खोरों एवं ठेकेदारों की चांदी हो रही है। जनप्रतिनिधि भी अपने नगर में चल रही समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं इसलिए भगवान भरोसे संचालित है मेघनगर का अस्पताल।
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