रहीम शेरानी/आयुष पाटीदार, झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ जिले के खवासा में सड़क दुर्घटनाएं होने के बावजूद वाहन चालक एहतियात नहीं बरत रहे हैं। दुपहिया गाड़ियों पर जहां लोग क्षमता से अधिक सवारियों को बैठा कर फर्राटेदार सफर करते नजर आ रहे हैं वहीं ओवरलोड वाहन भी सडक़ों पर अक्सर देेखे जा रहे हैं। ये वाहन खुलेआम ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते नजर भी आ रहे हैं लेकिन इन वाहन चालकों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। सवाल यह उठता है कि सडक़ पर नियमों का उल्लंघन आखिर वाहन चालक किस की शह कर रहे हैं, कहीं इन वाहन चालकों को सुबह से शाम तक भ्रष्ट अधिकारियों को चढ़ावा चढ़ाने के कारण नियमों में छूट तो नहीं मिल रही है?
बताया जाता है कि पुलिस भी ऐसे वाहनों पर कुछ सख्ती दिखाती है लेकिन कुछ दिनों बाद ही वापस फिर अनदेखी करने लगती है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि ओवरलोड सवारी ढोना वाहन चालकों की मजबूरी है या दबंगई।
गांव में सवारी वाहनों की भरमार है, अधिकांश सवारी वाहन ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कई वाहन ऐसे दिख जाएंगे जो तादाद से ज्यादा सवारियां बैठाते हैं। पुलिस हो या प्रशासन तब सुध लेता है जब ऐसे वाहन अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं और लोगों की मौत तक हो जाती है। फिर पुलिस कार्रवाई तो करती है लेकिन औपचारिकता के लिए। दो-चार दिन बाद फिर पुराना ढर्रा शुरू हो जाता है। यह सवारी वाहन कई चौराहे व ग्रामीण अंचल से निकलते हैं। पुलिस भी खड़ी होकर देखती रहती है लेकिन कार्रवाई करने की जहमत नहीं करती। कई बार स्थिति यह हो जाती है कि सवारी वाहन इतने फुल हो जाते हैं कि उनमें गेट पर खड़े होकर सवारी यात्रा करती हैं। हाठ या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं के समय यह नजारा सबसे ज्यादा दिखाई देता है।
इन जगहों पर ज्यादा अनदेखी:-
कई ऐसे पॉइंट हैं जहां सवारी वाहन नियमों की अनदेखी कर ठसाठस सवारियांं भरते हैं। जैसे बस स्टैंड, देवगढ़ रोड़, बाजना रोड़ यहां वाहन चालक तादाद से ज्यादा सवारियां भर लेते हैं। सवारी वाहनों में सवारी की संख्या नियत है। अगर ओवरलोड सवारी वाहनों में दिखाई देती है तो कार्रवाई की जाती है।
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