नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
आज सुबह लगभग 5 बजे जामनेर के अराफ़ात चौक में मुर्गियों से भरा मिनी ट्रक गड्ढ़े में पलट गया जिसमें 400 मुर्गियों की जान विकास की भेंट चढ़ गई। भोर प्रभात होने के कारण सड़क पर आवागमन न के बराबर था।
70 करोड़ की लागत से शहर में बनाई जा रही सुरंगी नालियों के निर्माण का कार्य बीते 2 सालों से चल रहा है जिसका ठेका गुजरात के विकासक को बहाल किया गया है। इसी काम के चलते जामनेर में करीब 112 कीलोमीटर की पुरानी सड़कों को नालियों के चेम्बर बनाने के लिए उखाड़ा जा चुका है, यह काम अब अंतिम चरण में आ चुका है। भारी बारिश, रोजमर्रा का धूल-भड़क्का उससे पनपने वाली बीमारियां, छोटे बड़े हादसे इन तमाम परेशानियों का शिकार होने के बाद भी जामनेर के आम मतदाताओं ने खुद को सच्चा नागरिक होने की अपनी भूमिका की उमदा मिसाल पेश की है जो वाकई किसी पुरस्कार के लिए पात्र हैं।
महीनों पहले मूसलाधार बारिश के कारण पनपे जलजमाव की स्थिति को लेकर पीड़ितों द्वारा याची के रूप में पुर्व मंत्री जी को घेरने के साहस में भी गुस्सा कम और शालीनता अधिक थी। सुरंगी नालियों के अदभुत काम के लिए उखाड़ी गयी लगभग सभी सड़कों का निर्माण 2002 के बाद हुआ था जिसपर तब करोड़ों खर्च किया गया था। उसके ऑडिट औऱ तकनीकी बिंदुओं पर विपक्ष ने कभी लोकतंत्र के दायरे में सवाल नहीं उठाए। यहां नगरपालिका में विपक्ष खत्म किया जा चुका है और सभी सड़कों की विकास के नाम पर हत्या हो चुकी है, आज केवल मुर्गियां भेंट चढ़ी हैं। सुरंगी नालियों के निर्माण कार्य में तकनीकी पहलुओं को इतनी सटीकता से दांव पर लगाया गया है कि कई चेम्बर कितनी बार बनाने के बाद कितनी मरतबा तोड़कर फिर से बनाने पड़े इसका कोई हिसाब नहीं है। देर-सवेर सुरंगी नालियों का काम पूरा हो जाएगा फिर शहर की 112 किमी की सड़कों के निर्माण के लिए करीब 60 करोड़ रुपयों का निधी खर्चा किया जाएगा। समृद्धि राजमार्ग से परिचित 8 करोड़ की लागत से बनी शहर की मुख्य सड़क के ठेकेदार का नेताजी द्वारा सम्मान की घटना को 4 साल बीत गए हैं जिसके बाद इसी सड़क पर कितनी दुर्घटनाएं हुईं इससे किसी को कोई मतलब नहीं है, बस हर्ष इस बात की है कि विकास तो हो रहा है।
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