अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ, झांसी (यूपी), NIT:
पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद (सल.) के बड़े नवासे हजरत इमाम हसन की शहादत पर नगर के मेवातीपुरा स्थित ज़हरा काॅटेज में मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमें नागपुर से आये हुए मौलाना अली रज़ा साहब ने मजलिस को ख़िताब करते हुए बताया कि आज ही के दिन रसूले खुदा के बड़े नवासे हजरत इमाम हसन की शहादत हुई थी। पैगम्बरे इस्लाम की एक अहम ज़िम्मेदारी जेहालत, बेदीनी के विरुद्ध संघर्ष और अन्याय, ज़ुल्म और मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आंदोलन छेड़ना था और एक क्षण भी इसे रुकने नहीं दिया। इसी आंदोलन को इमाम हसन ने आगे बढ़ाते हुए रसूल की सीरत के अनुसरण और उनके हुक्मों पर अमल करने की दावत देते और नैतिक गुणों को अपनाने के सिलसिले में लोगों को प्रोत्साहित करते थे। नतीजे में इमाम हसन की कल्चरल व सामाजी गतिविधियों ने धीरे-धीरे लोगों में चेतना की लहर पैदा की लेकिन इस स्थति से अमवी शासक मुआविया को चिंता हो गई। जब मुआविया इमाम हसन के अभियान को रोकने में नाकाम हो गया तो उसने इमाम के कत्ल की साजिश रची और ज़हर देकर शहीद कर दिया। यह सुनकर सोगवारानों के आंसू निकल पड़े और हाय रसूले खुदा हाय इमामे हसन की सदाएं बुलंद होने लगीं।
मजलिस में मरसियाख्वानी हाजी काज़िम रज़ा, हाजी तकी आब्दी ने की। पेशख्वानी हाजी अज़हर अली, हाजी शाहिद अली व हैदर अली ने की। नौहाख्वानी हाशिम रज़ा, साहिबेआलम और रेहान रिज़वी जबलपुरी ने की जिसमें शहर की मातमी अंजुमनो ने मातम कर खिराजे अकीदत पेश की बाद मातम दस्तरख्वान इमामे हसन का आयोजन किया गया। मजलिस में मौलाना शाने हैदर ज़ैदी, मौलाना फरमान अली, ज़ायर नज़र हैदर, कमर हसन, हामिद ज़ैदी, अख्तर अब्बास, कमर आलम (राजू), इशरत हुसैन (बाॅबी), राशिद आब्दी, फुरकान हैदर, जुगनू आब्दी, अली बाबू आदि समाज के सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति मौजूद रहे। संचालन एडवोकेट राहत हुसैन आब्दी ने व आभार सैयद इतरत हुसैन आब्दी ने वयक्त किया।
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