विश्व शांति स्तूप पर अधिक से अधिक लोग आकर शांति के भाव को आत्मसात कर, जापान-भारत का संबंध मजबूत: मुख्यमंत्री नितीश कुमार | New India Times

अतीश दीपंकर, ब्यूरो चीफ, पटना (बिहार), NIT:

विश्व शांति स्तूप पर अधिक से अधिक लोग आकर शांति के भाव को आत्मसात कर, जापान-भारत का संबंध मजबूत: मुख्यमंत्री नितीश कुमार | New India Times

राजगीर के रत्नागिरी पर्वत पर विश्व शांति स्तूप के 50वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्यपाल फागु चौहान एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी, देश की प्रथम महिला सविता कोविंद जी एवं देश-विदेश से आए हुए प्रतिनिधियों का मैं स्वागत करता हूं। पिछले वर्ष के कार्यक्रम में मैं उपस्थित हुआ था, उस कार्यक्रम में सभी लोगों की इच्छा थी कि 50वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में राष्ट्रपति जी शामिल हों। इस विश्व शांति स्तूप का निर्माण फूजी गुरुजी ने किया था लेकिन इसका शिलान्यास तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने एवं वर्ष 1969 में इसका उदघाट्न तत्कालीन राष्ट्रपति वी0वी0 गिरी जी ने किया था। 50वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में राष्ट्रपति जी के शामिल होने के लिए मैं विशेष तौर पर उनको धन्यवाद देता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि फूजी गुरु जी का भारत से संबंध न सिर्फ शांति स्तूप के निर्माण के समय से ही है बल्कि उसके पूर्व देश की आजादी की लड़ाई के समय से ही था। पिछले वर्ष जापान की यात्रा के दौरान राजदूत सूजन राज चिनॉय ने बताया था कि गांधी जी के तीन बंदर बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो की मूर्ति फूजी गुरु जी ने ही गांधी जी को दी थी। उन्होंने कहा कि 1969 में ही देश का पहला रोप-वे यहां बना था, जिसके पहले यात्री लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी थे। उसी समय भूदान आंदोलन से संबंधित यहां एक भव्य कार्यक्रम हुआ था, जिसमें आचार्य बिनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे लोग शामिल हुए थें।

विश्व शांति स्तूप पर अधिक से अधिक लोग आकर शांति के भाव को आत्मसात कर, जापान-भारत का संबंध मजबूत: मुख्यमंत्री नितीश कुमार | New India Times

इस विश्व शांति स्तूप से पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद, पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जैसे लोगों का भी संबंध रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर ऐतिहासिक जगह है। यह मगध की पहली राजधानी थी। यहां बिंबिसार का अखाड़ा है। अजातशत्रु यहां से राजधानी स्थानांतरित कर पाटलिपुत्र ले गए थे। बगल में नालंदा विष्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि शांति स्तूप के सामने गृद्धकूट पर्वत है। ज्ञान प्राप्ति के बाद राजगीर में भगवान बुद्ध गृद्धकूट पर्वत पर कई बार उपदेश देने आते थे। यहां से भगवान महावीर, मखदूम साहब, गुरुनानक देव जी का भी संबंध रहा है। हिंदू धर्म के प्रसिद्ध मलमास मेले में 33 करोड़ देवी-देवता के यहां उपस्थित होने की अवधारणा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में यहां पहली बार राज्य मंत्रीमंडल की बैठक हुई थी, उसी समय नया रोप-वे बनाने का निर्णय लिया गया था। जिसका निर्माण कार्य हो गया है लेकिन अभी उसका निरीक्षण चल रहा है। उन्होंने कहा कि बुद्ध शांति स्तूप से अशोका स्तूप तक जाने के मार्ग को सुगम बनाया जा रहा है। गृद्धकूट पर्वत पर जाने के लिए सीढियों का निर्माण कराया गया है। हमलोगों का प्रयास है कि इस विश्व शांति स्तूप पर अधिक से अधिक लोग आएं और शांति के भाव को आत्मसात कर सकें। हमलोगों की कोशिश है कि यहां आने वाले पर्यटकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर को इको टूरिज्म सेंटर के रुप में विकसित किया जा रहा है। हमलोगों का प्रयास है ।राजगीर के घोड़ाकटोरा में 50 फीट की बुद्ध की मूर्ति लगायी गई है। उन्होंने कहा कि पटना में बुद्ध स्मृति पार्क बनाया गया है जहां बुद्ध से जुड़े म्यूजियम और बिपश्यना केंद्र हैं। यहां बोधगया एवं अनुराधापुरम से बोधिवृक्ष मंगाये गये हैं, जिसे बुद्ध की प्रतिमा के इर्द-गिर्द लगाया गया है। उन्होंने कहा कि वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण कराया जा रहा है। वैशाली से भगवान बुद्ध की अथेन्टिक रेलिक्स मिली है, जिस पर वहां स्तूप बनेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जापान की यात्रा के दौरान साढ़े सात सौ वर्ष पुरानी मूर्ति को देखने का मौका मिला था। आज के समय इस विश्व शांति स्तूप का और महत्व है। लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भी यहां आकर शांति का भाव ग्रहण कर सकते हैं। हमलोग भगवान बुद्ध के विचारों के अनुरुप प्रेम, सद्भाव को बढ़ावा दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जापान-भारत का संबंध मजबूत है और हमलोगों की इच्छा है कि यह और मजबूत बना रहे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री का स्वागत मोमेंटो भेंटकर किया गया। मुख्यमंत्री ने शांति स्तूप में पूजा-अर्चना की। कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, चीफ मांक ऑफ निपोजन मयोहोजी वेन जी0 योषिदा, चेयरमैन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर सी0जी0सी0 कम्पनी ऑफ जापान एंड वाइस चेयरमैन ऑफ राजगीर बुद्ध विहार सोसायटी अत्षुहिरो होरीयूची, राजगीर बुद्ध सोसायटी की सेक्रेटरी श्रीमती महाश्वेता महारथी ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, सांसद कौशलेंद्र कुमार, मुख्यमंत्री के परामर्शी अंजनी कुमार सिंह, कला संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, पटना के आयुक्त संजय अग्रवाल, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य बौद्ध भिक्षुगण एवं देश-विदेश से आए अतिथि एवं अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

इसके पश्चात पटना एयरपोर्ट पर महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को राज्यपाल फागु चौहान एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विदाई दी।
उनके साथ मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यगण, मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेषक समेत वरीय पदाधिकारी मौजूद थें।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading