यूसुफ खान, ब्यूरो चीफ, धौलपुर (राजस्थान), NIT:
जिस तरह धौलपुर आरएसी छठी बटायलियन ने अपनी स्थापना से आज तक 100 साल पुराने इतिहास को संजो के रखा है यह हर धौलपुर वासी के लिए गौरव की बात है।अगस्त सन 1918 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान धौलपुर रियासत में अंग्रेजों द्वारा कामण्डिंग अफ़सर जैम्स पेट्रस के नैतृत्व में 143 नृसिंह इंफेंटरी की शुरुआत हुई थी और इसका कैम्प वर्तमान आरएसी कैम्पस को ही नियुक्त किया गया फिर इसी कैम्पस में क्वार्टर गार्ड का निर्माण कराया गया और अजादी के बाद पहली बार तिरंगा भी इसी क्वार्टर गार्ड पर फहराया गया। जब 1952 में दस्यु उन्मूलन और आंतरिक सुरक्षा को लेकर आरएसी का गठन राजस्थान सरकार द्वारा किया गया तो इसी आरएसी कैम्पस को अब नृसिंह बटालियन के बजाय आरएसी छठी बटालियन के नाम से नई पहचान मिली। आरएसी के जवानों की यूँ तो सिविल पुलिस की तरह ड्यूटी नहीं रहती पर उग्र आंदोलनों के चलते क़ानून व्यवस्था के पालन की ज़िम्मेदरी से लेकर जम्मू- कश्मीर जैसी जगह में चुनाव कराने की ज़िम्मेदरी आरएसी द्वारा बख़ूबी सम्भाली जाती है साथ ही आरएसी का इतिहास तमाम शौर्य ओर जवानों की वीरता का गवाह रहा है जिस ने धौलपुर के बीहड़ों में डकैतों से लोहा लेकर आंतरिक सुरक्षा को मज़बूत भी किया है। ठीक इसी बात को लेकर पुलिस अधीक्षक और कमांडेंट आरएसी छठी बटालियन मृदुल कच्छावा ने इस इतिहास को संजो कर डोक्यूमेंट्री बनाने का निर्णय किया। कमंडेंट छठी बटालियन ने बताया कि आरएसी छठी बटालियन की स्थापना के 100 साल पूरे होना जवानों के लिए गौरव की बात तो है साथ साथ में आम धौलपुर वासी के लिए भी गौरव की बात है। धौलपुर आरएसी के जवान के इस गौरवशाली ओर शौर्य ओर तमाम वीर गाथाओं से भरे इतिहास को संजो के रखना हमारी ज़िम्मेदरी है।जो आरएसी के जवानो में गर्व की भावना को ओर अधिक मज़बूत करेगा। डॉक्युमेंट्री के सुपरवीजन की ज़िम्मेदारी बटालियन के चिकित्सक डाक्टर परमेश पाठक को दी गई है साथ ही डाक्टर पाठक ने 1918 से 2019 तक इतिहास के तमाम जानकारियां इकट्ठी की है। इस डॉक्युमेंट्री के निर्माण की ज़िम्मेदारी जयपुर के प्रख्यात फ़ोटो और सिनोमेटोग्राफ़र चिंटू पाठक को दी गई है।
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