गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:
जिले में सरकारी सहायता प्राप्त एक स्कूल में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस स्कूल के प्रबंध तंत्र, प्रिंसिपल ने अपने रिटायर से पहले ही अपनी पत्नी को प्रधानाचार्य बना दिया है। मामला किसान जूनियर हाई स्कूल विहरोजपुर सूरापुर अंबेडकरनगर का है। इस विद्यालय में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई शिक्षकों की नियुक्ति करने का आरोप लग रहा है। इस फर्जीवाड़े का खुलासा उक्त विद्यालय के सहायक अध्यापक उर्दू टीचर रिजवाना उल्लाह किदवई मौलवी ने किया है। उनकी शिकायत पर बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मामले की जांच करायी गई।
जानकारी के अनुसार किसान जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापिका के पद पर तैनात चंद्रावती वर्मा की नियुक्ति को जांच उपरांत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ए के सिंह ने फर्जी पाया है। यहां फर्जी दस्तावेज जालसाजी करके पूर्व में रहे प्रधानाध्यापक राम अजोर वर्मा ने अपनी पत्नी चंद्रावती को प्रधानाध्यापिका के पद पर नियुक्त कर दिया था। 18 अप्रैल 2019 को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने आदेश पर कार्यरत प्रधानाध्यापिका चंद्रावती वर्मा को बर्खास्त करते हुए सेवा की समाप्ति करने का आदेश दिया था। उस आदेश के बाद प्रबंध समित को भी तत्काल शिक्षिका चंद्रावती वर्मा की सेवा कर विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक द्वारा m.d.m. वा बैंक के खातों को संचालन करने का निर्देश दिया था। बीते 5 जुलाई को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आदेश के माध्यम से विद्यालय को पुनः पत्र जारी किया तथा पत्र की प्रतिलिपि को खंड शिक्षा अधिकारी को देकर निर्देशित किया कि तत्काल चंद्रावती की सेवा समाप्त कर उनके स्थान पर विद्यालय के मिड डे मील व अन्य बैंक खातों की संचालन विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक द्वारा सुनिश्चित करें उसके बावजूद भी टांडा खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रधानाध्यापिका पर उचित कार्रवाई नहीं की गई जिससे कि शिक्षा विभाग को उसी विद्यालय में रहकर शिक्षा विभाग को ठेंगा दिखा रही है श्री किदवई का आरोप है कि स्कूल के प्रिंसिपल रहे राम अजोर वर्मा और मैनेजर देव मुनि वर्मा ने चंद्रावती की नियुक्ति के समय दर्शाया गया अनुभव प्रमाण पत्र भी गलत है।अपने ही स्कूल में प्रधाना अध्यापिका का तौर पर नियुक्त करा दिया।
सरकारी पैसे का हुआ बंदरबांट
शिकायतकर्ता का कहना है इस संबंध में अधिकारियों से समय समय पर शिकायत भी की गयी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी। फर्जी दस्तावेज के आधार पर सरकार द्वारा विद्यालय को दी जाने वाली सहायता राशि का बंदरबांट किया गया जिसमें तत्कालीन बीएसए की भी मिलीभगत थी।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.